
दमोह जिले के पटेरा ब्लाक में आने वाले नागमणी गांव में लोगों के घरों में काले सांप घूमते रहते हैं, लेकिन लोग इनसे डरते नहीं हैं। नागपंचमी पर्व के दिन यहां चूल्हे पर कढ़ाई नहीं चढ़ती। इस दिन केवल बाटियां बनाई जाती है। यदि किसी ने चूल्हे पर कढ़ाई चढ़ा दी तो तत्काल काले सांप प्रकट हो जाते हैं। जिनसे माफी मांगने और पूजा करने के बाद वह चले जाते हैं। इस गांव में सैकड़ों की संख्या में काले नाग घूमते रहते हैं, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। वर्षों से इस गांव के लोग अपने पूर्वजों की परंपरा को निभाते हुए नाग पंचमी के दिन मंदिर में जाकर दाल,बाटी बनाकर नागदेव को भोग लगाते हैं। इस दिन गांव के किसी भी घर में चूल्हे पर कढ़ाई नहीं चढ़ाते और न ही पकवान बनते हैं। बताया जाता है कि कई वर्ष पहले किसी महिला ने पकवान बनाने का प्रयास किया था तो उसके घर में सैकड़ों की संख्या में नाग निकल आए थे। डरे,सहमे लोग मंदिर पहुंचे और नागदेव से माफी मांगी तो घर से सभी नाग जमीन में समा गए। गांव के लोगों का मानना है कि उनके गांव की रक्षा स्वयं नागदेव करते हैं इसलिए गांव का कोई भी व्यक्ति नाग देखकर भयभीत नहीं होता।
नागदेव के जोड़े की है प्रतिमा
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि उनके गांव में नागदेव के जोड़े की प्रतिमा है और उनके गांव का नाम भी नागमणि है। उनके पूर्वजों ने नागदेव की शक्ति का आभास किया है इसलिए वह लोग भी अपने पूर्वजों की मान्यता का पालन कर रहे हैं। इस गांव की यह भी मान्यता है कि कई साल पहले नागपंचमी के दिन किसी ने घर में पकवान बनाने के लिए चूल्हे पर कढ़ाई चढ़ाई थी तो उसमें एक नाग गिरकर मर गया था तब से इस गांव में नागपंचमी पर कढ़ाई नहीं चढ़ाई जाती।
नाग करते हैं गांव की रखवाली
70 वर्षीय भूपत तिवारी ने बताया कि उनके पूर्वजों ने बताया था कि कई साल पहले गांव में किसी ने नागपंचमी के दिन पकवान बनाने के लिए जैसे ही चूल्हे पर कढ़ाई चढ़ाई तो घर में अचानक ही सैकड़ों नाग निकल आए। जबकि उन्हें पता था कि इस दिन कढ़ाई नहीं चढ़ाई जाती है। परिवार के लोगों ने जब मंदिर जाकर माफी मांगी तब जाकर नाग घर से गायब हुए थे।
हाकम सिंह ने बताया कि यहां काले नाग को मारा नहीं जाता बल्कि वह गांव की रक्षा करते हैं और आज तक गांव के किसी भी व्यक्ति को नाग ने नुकसान नहीं पहुंचाया और न किसी की मौत सांप के डसने से हुई है। गांव की परंपरा है कि नागपंचमी के दिन किसी के भी घर में पकवान नहीं बनाए जाते और चूल्हे पर कढ़ाई नहीं चढ़ाई जायेगी यदि ऐसा किया तो नागदेव कुछ ही देर में प्रकट हो जाते हैं। दामोदर मिश्र, प्रमोद राजपूत, सुरेंद्र सिंह, राघवेंद्र राजपूत, प्रमोद तंतुवाय, गौरव राजपूत ने बताया कि पहले यहां एक मढ़ा बना हुआ था जिसमें नागदेव की प्रतिमा थी। करीब दो दशक पहले गांव के सरपंच ने यहां मंदिर का निर्माण कराया था और जब से नागदेव की प्रतिमा मंदिर के अंदर है जहां लोग पूजन करने आते हैं।
मन्नू लाल, नन्नू सिंह, लाल सिंह ने बताया की लोगों के ऊपर से सांप निकल जाता हैं, लेकिन किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। गांव में लोगों के घरों में काले सांप का घूमना सामान्य बात है। यदि किसी के घर पर नागपंचमी के दिन मेहमान भी आ जाएं तो उसे भी दाल बाटी खिलाई जाती है पकवान नहीं बनाए जाते। नागपंचमी के दिन लोग दूर, दूर से नागमणि गांव में नाग देवता की पूजा करने आते हैं।