
टीकमगढ़ नगर पालिका में अविश्वास प्रस्ताव के बाद उलट फेर की संभावना नजर आ रही है। अविश्वास प्रस्ताव में शामिल सभी 19 पार्षद गुप्त स्थान पर चले गए हैं। सभी पार्षदों के फोन भी बंद है। इस बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष सुषमा संजय नायक के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
दरअसल, 21 अगस्त को नगर पालिका के 19 पार्षदों ने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में कलेक्टर को पत्र सौंपा का था।
विश्वास प्रस्ताव में भाजपा के 10, कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय पार्षद शामिल थे। उसी दिन प्रदेश की कैबिनेट बैठक में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर नया आदेश जारी किया गया।
जिसमें अविश्वास प्रस्ताव लगाने की समय सीमा 2 साल से बढ़ाकर 3 साल कर दी गई। साथ ही अविश्वास के लिए दो तिहाई पार्षदों की जगह तीन चौथाई पार्षद होने का नियम लागू किया गया। बावजूद इसके कलेक्टर ने सभी पार्षदों के बयान दर्ज कराए और 2 सितंबर की तारीख विशेष सम्मेलन के लिए घोषित कर दी।
इस संबंध में नगर पालिका के सभी 27 पार्षदों को नोटिस भी जारी किए गए। इसके बाद कांग्रेस विधायक यादवेंद्र सिंह बुंदेला और नपा अध्यक्ष अब्दुल गफ्फार की ओर से कांग्रेसी पार्षदों को मनाने के लिए प्रयास शुरू किए गए, लेकिन विरोध में शामिल कांग्रेसी पार्षद गुप्त स्थान पर चले गए हैं। उन्होंने अपने फोन भी बंद कर लिए हैं।
नपा में उलटफेर की संभावना
नगर पालिका में वर्तमान में कांग्रेस की परिषद है। विश्वास में कांग्रेस उपाध्यक्ष सहित 6 पार्षद शामिल हैं। जबकि भाजपा के 10 और 3 निर्दलीय पार्षद विरोध में हैं। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि कांग्रेस उपाध्यक्ष सुषमा संजय नायक भाजपा में शामिल हो सकती है। इसके बाद भाजपा के पार्षदों के समर्थन से नगर पालिका में उलटफेर हो सकता है।
नपाध्यक्ष को पार्षदों पर भरोसा
इस मामले में नपाध्यक्ष अब्दुल गफ्फार का कहना है कि कांग्रेसी पार्षदों पर पूरा भरोसा है। भाजपा नेताओं ने कुछ पार्षदों को प्रलोभन देकर अविश्वास प्रस्ताव में शामिल किया है। कांग्रेस के सभी 14 पार्षद एक बार फिर नगर विकास के लिए एकजुट होंगे।
दो बार पहले भी हो चुके प्रयास
टीकमगढ़ नगर पालिका में पिछले 27 सालों के दौरान अध्यक्ष के खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, लेकिन दोनों ही बार पार्षद असफल रहे। 1997 में कांग्रेस के नपाध्यक्ष जब्बार खान के खिलाफ पहली बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।
इसके बाद 2019 में मप्र में कांग्रेस सरकार बनने के बाद नपाध्यक्ष लक्ष्मी गिरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। दोनों बार अविश्वास प्रस्ताव बहुमत के आभाव में पास नहीं हो सका।