
दमोह नगर पालिका में कांग्रेस शासित अध्यक्ष मंजू वीरेंद्र राय के अविश्वास प्रस्ताव को लेकर एक सप्ताह से चल रहे घमासान के बीच मंगलवार को कांग्रेस के सभी पार्षद अपने वरिष्ठ नेताओं और अधिवक्ताओं के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर सुधीर कोचर से अविश्वास प्रस्ताव के लिए जारी की गई सम्मिलन तारीख को रद्द करने की मांग की है।
पार्षदों के साथ मौजूद दमोह के पूर्व विधायक अजय टंडन ने कहा कि हमने कलेक्टर से मांग की है कि कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर भाजपा के द्वारा जो अविश्वास प्रस्ताव की मांग की गई है, जिसमें आपने सम्मिलन के लिए 4 सितंबर की तारीख तय की है उसे निरस्त किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके पीछे दो प्रमुख कारण है। पहला ये कि सागर जिले के देवरी नगर पालिका में अविश्वास प्रस्ताव के लिए कलेक्टर को पार्षदों ने आवेदन दिया था जिसे कलेक्टर ने आगामी आदेश तक के लिए निरस्त कर दिया है। वैसे ही दमोह में भी आवेदन निरस्त किया जाए। दूसरा कारण यह भी है कि जब मध्य प्रदेश सरकार ने कैबिनेट में अविश्वास प्रस्ताव की समय सीमा बढ़ाकर 2 साल की जगह 3 साल कर दी है तो फिर यहां अविश्वास प्रस्ताव कैसे हो सकता है
जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष रतन चंद जैन ने कहा कि उन्होंने कलेक्टर से कहा है कि प्रदेश में समान आचार संहिता लागू है। मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने अविश्वास प्रस्ताव की समय सीमा बढ़ाकर 3 साल कर दी है इसलिए यहां अविश्वास प्रस्ताव के लिए सम्मिलन जो तारीख तय की है उसे निरस्त किया जाए। देवरी नगर पालिका में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर जो आवेदन दिया गया था उसे सागर कलेक्टर ने निरस्त कर दिया है और उस आदेश में यह हवाला दिया है कि कैबिनेट ने अविश्वास प्रस्ताव की समय सीमा बढ़ा दी है इसलिए आगामी आदेश तक उनके आवेदन निरस्त किए जाते हैं। हम भी यही चाहते हैं कि दमोह कलेक्टर भी सम्मिलन की तारीख को निरस्त करें। उन्होंने कहा कि हमारे पास समर्थन में पर्याप्त पार्षद मौजूद हैं इसलिए अविश्वास प्रस्ताव का प्रावधान ही नहीं बनता। जब उनसे पूछा गया कि यदि अविश्वास प्रस्ताव आता है, तो क्या उनके पास बहुमत है तो उन्होंने कहा कि हमारे पास पर्याप्त पार्षद हैं। जब उनसे कहा कि टीकमगढ़ में भी कलेक्टर ने सम्मिलन की तारीख तय कर दी है तो उन्होंने कहा टीकमगढ़ की जानकारी मुझे नहीं है।
*कलेक्टर बोले, नियमानुसार की जाएगी कार्रवाई*
इस मामले में कलेक्टर सुधीर कोचर का कहना है कि कांग्रेस के पदाधिकारी ने पार्षदों के साथ ज्ञापन दिया है जिसका मंथन किया जा रहा है और आगे नियम संगत कार्रवाई की जाएगी।
*विधि विशेषज्ञ बोले, नोटिफिकेशन जारी होने तक नहीं मान्य होगा कैबिनेट का फैसला*
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर चल रहे असमंजस पर विधि विशेषज्ञों का कहना है कि मध्य प्रदेश कैबिनेट ने भले ही अविश्वास प्रस्ताव के कार्यकाल को 2 साल से बड़ा कर 3 साल कर दिया है और बहुमत की संख्या भी बढ़ा दी है, लेकिन जब तक राजपत्र में इसका उल्लेख नहीं होता तब तक कैबिनेट के उस फैसले की कोई मान्यता नहीं है वर्तमान में पुराने नियम कानून ही चलेंगे। विधि विशेषज्ञों ने एक उदाहरण भी दिया कि जैसे आईपीसी और सीआरपीसी में नए कानून के तहत धाराओं का परिवर्तन किया गया था और दोनों सदन से मंजूरी मिल गई थी, लेकिन जब तक नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया था तब तक इसमें पुरानी धाराओं के तहत ही अपराध दर्ज हुए थे। 1 जुलाई से राजपत्र से इसका उल्लेख किया गया था इसलिए 1 जुलाई के से ही इसमें नई धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया जा रहे हैं।