
जिले में 2559 अति कुपोषित एवं 7939 कुपोषित बच्चे हैं, जिले में हर माह पोषण आहार पर 3 करोड़ रुपए खर्च फिर भी कम नहीं हो रहा कुपोषणा
दमोह जिले में कुपोषण कम नहीं हो रहा है। एक अतिकुपोषित बच्ची को गंभीर हालत में जिला अस्पताल से जबलपुर रेफर किया गया है। इसके पहले परिजन बच्ची की जान बचाने झाडफूंक कराने के चक्कर में पड़ गए। जबलपुर ले जाने से पहले परिजन ने बच्ची की झाड़फूंक करवाने के लिए किसी ओझा को जिला अस्पताल में ही बुलवाया लिया। जो जिला अस्पताल स्टाफ और लोगों की नजरों से बचते हुए बच्ची के माथे पर भवूवृति लगाकर चला गया। इसके बाद परिजन
बच्ची को जबलपुर लेकर गए। लेकिन इलाज शुरू होने से पहले ही बच्ची ने दम तोड़ दिया।
दरअसल हटा ब्लाक के रनेह के पास बिला गांव की अंजली कुर्मी की 2 माह की बेटी राशि अतिकुपोषित थी। उसका दूध पीना भी बंद हो गया था। परिजन ने बताया कि दमोह में कई जगह बच्ची को दिखा लिया लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ था।
बता दें कि इसके पहले मड़ियादो के घोघरा गांव निवासी लेखराम के ढाई महीने के अतिकुपोषित बेटे शिवम की मौत का मामला सामने आ चुका है।
तेंदूखेड़ा ब्लॉक में सबसेज्यादा अतिकुपोषित बच्चेमहिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में 2559 अतिकुपोषित एवं 7939 कुपोषित बच्चे दर्ज हैं। जिन्हें एनआरसी पहुंचाया गया है। तेंदूखेड़ा ब्लाक में सबसे ज्यादा 486 अतिकुपोषित बच्चे दर्ज किए गए। जबकि दमोह ब्लाक में सबसे ज्यादा 1317 कुपोषित बच्चे दर्ज हुए। जिले की आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण आहार के नाम पर हर माह करीब 3 करोड़ रुपए का बजट शासन की ओर सेखर्च किया जा रहा है, बावजूद कुपोषण कम नहीं हो रहा है।
एनआरसी में 15 कुपोषित बच्चे भर्ती हैंजिला अस्पताल एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) में 15 बच्चे भर्ती हैं। इनमें बरंट निवासी भीमा की चार माह की बेटी मोनिका क हालत गंभीर है। भीमा ने बताया कि उनकी पत्नी ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था। एक बेटे और एक बेटी। बेटा की मौत हो चुकी है। जबकि बेटी कुपोषित होने पर भर्ती कराया है। जिसका वजन 2किलो 500 ग्राम था। अस्पताल में 100 ग्राम वजन बढ़ा है। जबकि 4 माह के सामान्य स्वस्थ्य बच्चे का वजन 4 किलो 500 ग्राम से 5 किलो 600 ग्राम तक होना चाहिए।बच्ची कुपोषित होने के साथ हार्ट में भी समस्या• बच्ची की हालत गंभीर थी, कुपोषण के साथ उसके हार्ट में भ समस्या थी, हार्ट में छेद था, इसलिए उसे रेफर किया गया है। – डॉ. सुनील जैन, शिशु रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल दमो