
डोल ग्यारस पर बीना और खुरई शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में शनिवार को रात धूमधाम से विमान शोभायात्रा निकाली गई। भगवान को विमान में विराजित कर ट्रैक्टर-ट्रॉली में झांकी सजाई गई थी। नगर भ्रमण के बाद मोतीचूर नदी, नरेन नदी और तालाब में भगवान को जल विहार कराया गया।
नगर भ्रमण कर भगवान ने किया जलविहार
भादों मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर बीना के नृसिंह मंदिर में डोल-ग्यारस उत्सव का आयोजन हुआ। मंदिर से भगवान का विमान निकाला गया। जिसमें ढोल, नगाड़े, अखाड़े शामिल हुए। श्रद्धालु भजनों पर झूमते गाते हुए चल रहे थे। विमान यात्रा का शुभारंभ मंदिर से हुआ।
नरसिंह मंदिर के विमान में भगवान श्रीराम जानकी विराजमान थे। विमान बीना के सर्वोदय चौराहा, कॉलेज तिराहा, सिनेमा तिराहा, महावीर चौक, कच्चा रोड, इटावा होते हुए बड़ा मंदिर मोतीचूर नदी पहुंची, जहां भगवान ने जलविहार किया।
विमान यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। लोग ढोल, नगाड़ों पर नाचते हुए चल रहे थे। इस दौरान जगह-जगह यात्रा का स्वागत किया गया। नगर भ्रमण पर निकले भगवान की जगह-जगह लोगों ने पूजा अर्चना की।
भगवान की आरती उतारकर पुण्य लाभ लिया। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी धूमधाम के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। यह शोभायात्रा लगभग सौ वर्षों से नरसिंह मंदिर से होकर बड़ा मंदिर तक जाती है और नदी तट पर विशेष पूजा अर्चना होती है। बसाहरी गांव सहित अन्य गांव में भी धूमधाम के साथ विमान निकाले गए।
खुरई में भी देर रात तक हुए कार्यक्रम
खुरई शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में डोल ग्यारस का पर्व उत्साह और श्रद्धा भक्ति से मनाया गया। पुरानी परंपरा के अनुसार करीब नगर के सभी मंदिरों से ठाकुरजी लड्डू गोपाल को डोल विमानों में विराजमान कर जल विहार कराने ले जाया गया।
जानकारी के अनुसार भारत के हर गांव में प्राचीनकाल से विमान निकालने की परंपरा जारी है। इसी क्रम में शहर के प्रमुख मंदिरों में करीब 5-6 दिन पहले से ही विमान निकालने की तैयारी चल रही थी। इस अवसर पर शनिवार की रात शहर के विभिन्न मंदिरों से भगवान विमानों में विराजित होकर जल विहार करने के लिए निकले।
जिसमें किला स्थित राधा कृष्ण मंदिर, बांके बिहारी जी मंदिर, झंडा चौक पर राधा कृष्ण मंदिर, पठार के रामजानकी मंदिर,श्री देव मुरलीधर तलैया मन्दिर, श्री देव हरिदास मन्दिर सहित सभी नगर और ग्रामीण क्षेत्रों के 9 मंदिरों से भगवान जलविहार के लिए निकले।
वहीं श्रद्धालु भी ढोल नगाड़े में थिरकते हुए नजर आए। बरोदिया नोनागिर, मझेरा, बनहट सहित कई गांव में देर रात तक मंदिरों में कार्यक्रम आयोजित किए गए।
बनहट में भक्तों ने विमान निकाले
बनहट में डोल ग्यारस पर भव्य विमान यात्रा निकाली गई। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस एकादशी के व्रत को करने से वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। मान्यता हैं की जो भक्त भाद्रपद शुक्ल एकादशी का व्रत और पूजन करते हैं उन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों की पूजा करने से फल प्राप्त होता है।
बनहट में भी हनुमान मंदिर से विमान निकले गए। गांव के राम जानकी मंदिर, शिव मंदिर और गांव के मुख्य स्थानों पर विमान उतारा गया। धूमधाम से गांव वालों ने विमान का घर-घर स्वागत किया, जिसमें सैकड़ों भक्त शामिल हुए।