
15 साल बीतने के बाद भी उद्योग नगरी के लिए पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई। जबकि यहां से महज 15 किमी दूर सतधरू डैम है। यहां से पाइप लाइन डालकर उद्योगों के लिए पर्याप्त पानी मुहैया कराया जा सकता है। दूसरी समस्या सुरक्षा की है। पूरा परिसर चारों ओर से खुला पड़ा है। जिससे यहां पर आए दिन चोरी की वारदातें होती हैं।
दमोह-जबलपुर मार्ग पर मारूताल गांव में बसी उद्योग नगरी में आज तक प्रशासन कोई सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाया। इसके बाद भी सागर में 27 सितंबर को होने वाले वाली संभाग स्तरीय रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव के लिए दमोह जिले से 468 उद्यमियों ने पंजीयन कराया है। ऐसे में अब उम्मीद है कि इस कॉन्क्लेव में दमोह जिले में अनेक छोटे-बड़े उद्योगों की सौगात मिल सकती है।
दमोह जिले में उद्योग लगाने की अनेक संभावना है, लेकिन यहां पर सुविधाएं नहीं मिलने की वजह से छोटे से लेकर बड़े उद्यमी उद्योग लगाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। क्योंकि उद्योग लगाने के लिए जो जरूरी सुविधाएं हैं, वह उन्हें नहीं मिल पा रहीं है। इधर जिले में पहली बार आजीविका मिशन के दो समूहों ने उद्योग स्थापित कराने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। शहर से 5 किमी दूर मारूताल के पास 15 साल पहले करीब 10 करोड़ की लागत उद्योग नगरी विकसित की गई थी। वहां पर 100 एकड़ जगह में उद्योग विभाग द्वारा पक्की सड़कें एवं बिजली तो मुहैया कराई थी, लेकिन उद्योग लगाने के लिए पानी एवं सुरक्षा के लिए कोई प्रबंध नहीं किए गए। इसकी वजह से यहां पर महज 20 उद्योग ही लग पाए। जबकि करीब 50 से अधिक छोटे-बड़े उद्योग लग सकते हैं।
15 साल में नहीं हो सकी पानी व सुरक्षा की व्यवस्था
15 साल बीतने के बाद भी उद्योग नगरी के लिए पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई। जबकि यहां से महज 15 किमी दूर सतधरू डैम है। यहां से पाइप लाइन डालकर उद्योगों के लिए पर्याप्त पानी मुहैया कराया जा सकता है। दूसरी समस्या सुरक्षा की है। पूरा परिसर चारों ओर से खुला पड़ा है। जिससे यहां पर आए दिन चोरी की वारदातें होती हैं। शाम होते ही असामाजिक तत्वों का जमावड़ा हो जाता है। यहां के उद्यमी कई वर्षों से प्रशासन से पुलिस चौकी की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक ध्यान नहीं दिया गया। यदि यह दोनों सुविधाएं प्रशासन मुहैया करा देता है तो यहां पर नए-नए उद्योग खुलने के लिए अपार संभावनाएं हैं।
सागर में कृषि विभाग लगाएगा दमोह का चना स्टाल
सागर में आयोजित होने वाली संभाग स्तरीय रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव दमोह जिले से चयनित एक जिला एक उत्पाद के तहत कृषि विभाग द्वारा चना का स्टॉल लगाया जाएगा। इसमें दमोह जिले के चने को बाहर से आने वाले उद्योगपति देखेंगे। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मप्र में केवल बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा चने की क्वालिटी की खेती है। इसमें दमोह जिले में अच्छी क्वालिटी का चना होता है। स्टॉल के माध्यम से दमोह जिले के चने को बाहर के लोगों को बताया जाएगा।
रोजगार की तलाश में भटक रहे युवा
दमोह जिले में वर्तमान में 52 हजार शिक्षित बेरोजगार हैं, जो नौकरी की तलाश में यहां-वहां भटक रहे हैं। वर्तमान में दमोह जिले में उद्योगों की संख्या नाममात्र की है। नरसिंहगढ़ स्थित सीमेंट फैक्ट्री को छोड़ दिया जाए तो कोई भी बड़ा उद्योग दमोह जिले में नहीं है। ऐसे में यदि दमोह में नए उद्योग खुलते हैं तो इससे जिले के युवाओं को रोजगार मिलने की व्यापक संभावनाएं हैं। इधर आजीविका मिशन के डीपीएम तिनेंद्र अहिरवार ने बताया कि जिले में पहली बार दो समूह पटेरा के जागेश्वरधाम और दमोह के सन्मति समूह ने उद्योग स्थापित करने के लिए कॉन्क्लेव में शामिल होने रजिस्ट्रेशन कराया है। सन्मति समूह पापड़ उद्योग संचालित करता है जबकि जागेश्वरधाम समूह खाद बीज तैयार करने का काम करता है।
468 ने कराया पंजीयन
जिला उद्योग केंद्र के प्रबंधक बीएल अहिरवार ने बताया संभाग स्तरीय रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में दमोह जिले से 468 उद्यमियों ने पंजीयन कराया है। उम्मीद है कि जिले के लिए अनेक उद्योगों की सौगात मिल सकती है।