
वनमंडल अधिकारी ईश्वर जरांडे ने बताया कि डिपो में रखी लकड़ी की नीलामी को लेकर उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। जिसमें बताया गया है कि ऑनलाइन नीलामी में लकड़ी खरीदार रुचि नहीं ले रहे हैं।
दमोह जिले के वन डिपो में पिछले एक साल से करोड़ों रुपए की लकड़ी रखी है, जिसकी नीलामी नहीं हो पा रही है। इसकी वजह शासन द्वारा शुरू की गई ऑनलाइन प्रक्रिया है, जिसके चलते जानकारी न होने पर लकड़ी की खरीदारी में कोई रुचि नहीं दिखा रहा है। अकेले तेंदूखेड़ा ब्लॉक में ही करीब दस करोड़ की लकड़ी रखी हुई है। पिछले साल तक ऑफलाइन प्रक्रिया होने के कारण आरा मशीन संचालक इसे खरीद लेते थे। लेकिन, अब वे भी इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं।
तेंदूखेड़ा नगर से तीन किलोमीटर दूर दमोह मार्ग पर वन विभाग का काष्ठागार (डिपो) है, जहां विभिन्न रेंजों की लकड़ी रखी जाती है। पहले इसकी नीलामी ऑफलाइन होती थी, लेकिन अब यह प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है, जिससे अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है। इसी कारण आरा मशीन संचालकों और स्थानीय लकड़ी का काम करने वाले लोगों को नीलामी की प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं होती है। पिछले एक साल से इन डिपो में रखी लकड़ी की बिक्री नहीं हुई है, जिससे एक नई समस्या सामने आई है।
सुरक्षा श्रमिक कर रहे रखवाली और सफाई
इस लकड़ी की रखवाली और सफाई का काम तेंदूखेड़ा वन परिक्षेत्र के सुरक्षा श्रमिक कर रहे हैं। वे लकड़ी पर उग आई झाड़ियों की सफाई कर रहे हैं।
300 घन मीटर लकड़ी रखी है
काष्ठागार डिपो में वर्तमान में लगभग तीन सौ घन मीटर लकड़ी रखी हुई है। यहां के कर्मचारियों के अनुसार, इस लकड़ी की कीमत करोड़ों में है। एक साल से कोई ठेकेदार इसे खरीदने नहीं आया है, क्योंकि अब नीलामी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है। आरा मशीन संचालकों की इसमें रुचि कम हो गई है, जबकि पहले यह नीलामी ऑफलाइन होती थी। तब दमोह, जबलपुर, सागर और आसपास के जिलों से आरा संचालक यहां आते थे, लकड़ी की गुणवत्ता देखते थे और उसके बाद बोली लगती थी। लेकिन ऑनलाइन प्रक्रिया के चलते कई खरीदार इससे नहीं जुड़ पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें ऑनलाइन प्रक्रिया समझ में नहीं आती है या वे ऑनलाइन प्रणाली से अब तक नहीं जुड़े हैं।
मजदूरों की कमी से सफाई में हो रही देरी
डिपो में रखी लकड़ी पर बारिश के बाद झाड़ियां और कचरा जम गया था। डिपो में सफाई के लिए मजदूरों की जरूरत थी, लेकिन मजदूर न मिलने पर तेंदूखेड़ा वन परिक्षेत्र के सुरक्षा श्रमिकों को सफाई के लिए भेजा गया। रेंजर सृष्टि जैन ने बताया कि मजदूरों का अभाव है और अधिकारी डिपो की साफ-सफाई की तस्वीरें मांग रहे थे, इसलिए कुछ मजदूर और सुरक्षा श्रमिक सफाई के लिए लगाए गए।
वनमंडल अधिकारी ईश्वर जरांडे ने बताया कि डिपो में रखी लकड़ी की नीलामी को लेकर उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा गया है, जिसमें यह बताया गया है कि ऑनलाइन नीलामी में लकड़ी खरीदार रुचि नहीं ले रहे हैं। इसलिए इस समस्या का समाधान किया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि ऑफलाइन प्रक्रिया में केवल जलाऊ लकड़ी और बल्लियां ही मिलती हैं, जबकि लठ्ठा केवल ऑनलाइन ही बेचा जाता है।