
तेंदुए ने अब तक किसी ग्रामीण पर हमला नहीं किया है। लेकिन, उसकी मौजूदगी से ग्रामीणों में दहशत है। वन विभाग पहले इसे लकड़बग्घा मान रहा था, लेकिन अब तेंदुए की पुष्टि हो गई है।
दमोह जिले के तेंदूखेड़ा वन परिक्षेत्र के सेलवाड़ा गांव में एक महीने से तेंदुए ने अपनी दस्तक दे दी है। तेंदुआ बार-बार ग्रामीणों को नजर आता है, लेकिन वन विभाग अब तक उसे पकड़ नहीं पा रहा है। सोमवार रात यह तेंदुआ गांव के किसान मुकेश यादव के खेत में पहुंच गया, जिससे किसान दहशत में आ गया। तेंदुआ दिखने की सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। पदचिन्हों (पदमार्क) की पुष्टि के बाद तेंदुए की तलाश शुरू कर दी गई, लेकिन अब तक वह नजर नहीं आया है।
तेंदुए ने अब तक किसी ग्रामीण पर हमला नहीं किया है, लेकिन उसकी मौजूदगी से ग्रामीणों में दहशत बनी हुई है। वन विभाग पहले इसे लकड़बग्घा मान रहा था, लेकिन एक कुत्ते को उठाकर ले जाने के बाद पदचिन्ह से उसके तेंदुए होने की पुष्टि हुई।
जानकारी के अनुसार, सिलपुरा निवासी किसान मुकेश यादव का खेत सेलवाड़ा मुख्य मार्ग पर स्थित है। सोमवार रात तेंदुआ उनके खेत में घूमता नजर आया। कुछ किसानों ने तेंदुए की आहट महसूस की, लेकिन जैसे ही वे पहुंचे वह भाग गया। सुबह सूचना मिलने पर वन विभाग के सर्किल ऑफिसर सुशील श्रीवास्तव और बीट गार्ड संदीप ठाकुर मौके पर पहुंचे। पदचिन्हों की जांच के बाद उन्होंने तेंदुए की पुष्टि की थी।
ग्रामीणों को सतर्क रहने के निर्देश
सैलवाड़ा सर्किल में महगवाखुर्द, शिलपुरा, महगवा और सैलवाड़ा बीट क्षेत्र शामिल हैं, जो घने जंगलों से घिरा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस क्षेत्र में कई जंगली जानवर हैं और तेंदुआ भी अपने पूरे परिवार के साथ रहता है। सर्किल ऑफिसर सुशील श्रीवास्तव ने किसानों को सतर्क रहने और रात के समय अकेले खेतों या जंगल में न जाने की सलाह दी है। साथ ही बकरियां और छोटे मवेशियों को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं।
तेंदुआ पकड़ने की तैयारी
वन विभाग ने पुष्टि की है कि तेंदुआ सैलवाड़ा बीट के जंगली क्षेत्र में सक्रिय है। किसानों को तेंदुए से सतर्क रहने को कहा गया है। वन विभाग तेंदुए को पकड़ने के प्रयास में जुटा है।