
नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में कई करोड़ रुपए खर्च करने के बाद कैंसर इंस्टीट्यूट सेंटर बनाया गया था। पर अब इसी सेंटर में मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। जानकारी के मुताबिक कैंसर से पीड़ित नए मरीजों का ब्रैकी थैरेपी के लिए फिलहाल रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा रहा है।
बता दें की जबलपुर मेडिकल कॉलेज में मंडला, कटनी, डिंडौरी, सिवनी, नरसिंहपुर सहित आसपास के कई जिलों से रोजाना सैकड़ों मरीज आते हैं।
कैंसर इंस्टिट्यूट में दो कोबाल्ट और एक ब्रैकी थैरेपी मशीन है। लेकिन इनमें एक कोबाल्ट मशीन कंडम हो चुकी है। जो कोबाल्ट मशीन चालू है, वह भी बहुत पुरानी है। इसी से मरीजों की सिकाई हो रही है।
जानकारी के मुताबिक कैंसर इंस्टीट्यूट में जल्द ही ब्रैकी थैरेपी का सोर्स खत्म हो सकता है। सोर्स की उपलब्धता को देखते हुए केवल पुराने मरीजों को ही थैरेपी दी जा रही है। बताया जा रहा है कि सोर्स खत्म होते ही वह भी बंद हो जाएगा। इसके बाद पुराने मरीजों के सामने भी समस्या खड़ी हो जाएंगी। इधर, पंजीयन के लिए पहुंचे नए मरीजों के परिजनों ने बताया कि उन्हें कुछ समय बाद आने के लिए कहा गया है, अभी थैरेपी के लिए पंजीकरण नहीं हो रहा है। बताया यह भी जा रहा है कि शासकीय स्तर पर ब्रैकी थैरेपी की सुविधा पूरे प्रदेश में केवल जबलपुर मेडिकल कॉलेज में ही उपलब्ध है।
कैंसर अस्पताल की अधीक्षक डॉक्टर लक्ष्मी सिंगोतिया का कहना है कि-
सोर्स के खत्म होने से पहले ही नया सोर्स मंगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। मरीजों को किसी भी तरह की असुविधा नहीं होगी।
क्या है ब्रैकी थैरेपी
ब्रैकी थेरेपी एक कैंसर से जुड़ा उपचार है। जिसमें गोली, तार या कैप्सूल के अंदर सील की गई रेडियोधर्मी सामग्री को सुई या कैथेटर के जरिए शरीर में प्रत्यापित किया जाता है। इस स्रोत से निकलने वाले विकिरण से आसपास की कैंसर कोशिकाओं और डीएनए को नुकसान पहुंचता है।