
किसान डॉ. राकेश नामदेव की एक एकड़ जमीन पर गेहूं की फसल बोई गई थी, जिसकी कटाई भी हो चुकी है। लेकिन जब उन्होंने पंजीयन के लिए आवेदन किया तो सामने आया कि गिरदावली में उनकी जमीन पर चने की फसल दर्शाई गई है। अब गेहूं का पंजीयन नहीं हो पा रहा है, जिससे वे बेहद परेशान हैं।
दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लाक में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां एक किसान ने गेहूं की फसल बोई थी, लेकिन पटवारी ने गिरदावरी एप में चने की फसल चढ़ा दी। किसान जब अपने गेहूं को समर्थन मूल्य पर बेचने फसल का पंजीयन कराने गए तब उन्हें पता लगा कि उनके साथ क्या हुआ है। अब पटवारी किसी भी प्रकार की मदद करने तैयार नहीं है और नुकसान किसान का हो गया।
बता दें तेंदुखेडा में भी उपार्जन केंद्रो में गेहूं की तुलाई शुरू हो गई है, लेकिन कई किसान ऐसे भी है जिसकी फसलों का पंजीयन नहीं हो रहा और किसान इधर उधर भटक रहे है। इसमें लापरवाही करने वाले पटवारी है, जिनकी अनदेखी से तेंदुखेडा ब्लाक के सैकड़ों किसान परेशान हो रहे है। पटवारियों से चर्चा की तो उनका कहना है उन्होंने यह काम नहीं किया इसलिए वह जिम्मेदार भी नहीं हैं।
बोया गेहूं रिकॉर्ड में है चना
ग्राम के किसान डॉ. राकेश नामदेव की एक एकड़ जमीन पर गेहूं की फसल बोई गई थी, जिसकी कटाई भी हो चुकी है। लेकिन जब उन्होंने पंजीयन के लिए आवेदन किया तो सामने आया कि गिरदावली में उनकी जमीन पर चने की फसल दर्शाई गई है। अब गेहूं का पंजीयन नहीं हो पा रहा है, जिससे वे बेहद परेशान हैं।
डॉ. राकेश ने बताया कि खेत में आज भी गेहूं की नरवाई साफ दिखाई दे रही है, लेकिन रिकॉर्ड में चना चढ़ा है। इसको लेकर उन्होंने तेंदुखेड़ा हल्का पटवारी बसंत कुर्मी से संपर्क किया, लेकिन वहां से कोई सहयोग नहीं मिला। पटवारी का कहना है कि गिरदावली में फसल दर्ज करने का कार्य सर्वेयर का होता है, ऐसे में वे कुछ नहीं कर सकते।
उन्होंने बताया कि यह समस्या केवल उनके साथ नहीं है, बल्कि कई किसान इससे जूझ रहे हैं। राकेश नामदेव ने कहा कि गिरदावली के लिए जब पटवारी और अमला खेतों में जाते हैं, तो वे फसल देखकर ही रिकॉर्ड बनाते हैं, फिर ऐसी गलती कैसे हो गई? इस संबंध में जब हल्का पटवारी बसंत कुर्मी से बात की गई तो उन्होंने कहा, “गिरदावली का कार्य सर्वेयर करते हैं, फिर भी मैं दिखवाता हूं।
वहीं तेंदुखेड़ा तहसीलदार विवेक व्यास ने कहा, इस मामले की जानकारी लेकर जांच करवाई जाएगी। किसान स्वयं भी पोर्टल पर आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। यदि कोई किसान मेरे पास आवेदन देता है तो हम यहां से निराकरण करेंगे। यदि समाधान संभव नहीं हुआ तो शिकायत को जिला मुख्यालय भेजा जाएगा।