
रीवा के संजय गांधी अस्पताल में 28 फरवरी और 1 मार्च को पांच प्रसूता महिलाओं को लगाए गए इंजेक्शन से उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। जिसकी वजह से महिलाओं को करीब एक सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था।
बुधवार को सामने आई जांच रिपोर्ट में अस्पताल प्रबंधन की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। हेल्थ कार्पोरेशन के एमडी मयंक अग्रवाल की तरफ से बताया गया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर स्टोर कीपर को दोषी मानते हुए उसे निलंबित कर दिया गया है। अब इस मामले में कांग्रेस ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष कविता पांडेय ने कहा कि 30 अमानक इंजेक्शन अभी भी गायब हैं और केवल स्टोर कीपर को बलि का बकरा बनाया गया है।
हेल्थ कार्पोरेशन के एमडी मयंक अग्रवाल के अनुसार दिसंबर में इन इंजेक्शन को ब्लैकलिस्ट किया गया था। 25 फरवरी को अस्पताल के स्टोर से इस बैच के 100 बॉयल इंजेक्शन निकाले गए थे। गलती से 5 इंजेक्शन महिलाओं की डिलीवरी में इस्तेमाल कर दिए गए।
महिला कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष कविता पांडेय ने अस्पताल अधीक्षक राहुल मिश्रा और एमडी हेल्थ कार्पोरेशन से इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की हालत इतनी बिगड़ी थी कि उन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा था। कई दिनों तक महिलाओं के दिमाग पर भी इसका गंभीर असर रहा। हम ब्लैकलिस्टेड दवाइयों के टेंडर जारी करने वालों पर भी कार्रवाई की मांग करते हैं।
वहीं पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन भी सफाई देने में जुट गया है। अस्पताल के अधीक्षक राहुल मिश्रा का कहना है कि अब महिलाओं की हालत पूरी तरह से स्थिर है। महिलाओं की हालत ठीक होने के बाद ही उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था। मामला संज्ञान में आने के बाद स्टोर कीपर पर कार्रवाई की जा चुकी है।