
मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (MPBSE) की 12वीं की परीक्षा का परिणाम मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को जारी कर दिया। इस बार 7 लाख 6 हजार छात्र-छात्राओं ने परीक्षा दी थी। इनमें से 74.48% पास हुए। सतना की प्रियल द्विवेदी ने मैथ-साइंस में 500 में से 492 नंबर हासिल कर प्रदेश में टॉप किया है।
जबलपुर के गढ़ा स्थित सीएम राइज स्कूल के छात्र कार्तिक गुप्ता ने गणित समूह में 500 में से 488 अंकों के साथ प्रदेश की मेरिट लिस्ट में चौथा स्थान हासिल किया। कार्तिक को गणित में 100 में से 100 अंक मिले हैं।
वहीं, हायर सेकेंडरी के रिजल्ट में नरसिंहपुर जिला पहला और नीमच दूसरा रहा है। मोहन यादव ने कहा- इस बार बेटियों ने बाजी मारी है। असफल विद्यार्थी खुद को फेल न समझें, उनको परीक्षा का एक और मौका मिलेगा।
बता दें कि इस साल करीब 16 लाख स्टूडेंट्स ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा दी है। जबलपुर में 12वीं कक्षा में करीब 19 हजार छात्र बैठे थे। जबलपुर जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी का कहना है कि रिजल्ट आते ही छात्र अपने-अपने स्कूल पहुंच रहे है। एक दिन पहले ही स्कूल में पदस्थ सभी टीचरों को निर्देश दिए थे कि समय से वो अपने-अपने स्कूल पहुंच जाए।
छात्र https://mpbse.mponline.gov.in के अलावा Digi locker App, MPBSE Mobile App या MP Mobile App के जरिए भी परीक्षा परिणाम देख सकते हैं। ऐप में Know Your Result विकल्प का चयन कर अपना रोल नंबर और आवेदन क्रमांक (एप्लिकेशन नंबर) दर्ज करके रिजल्ट हासिल कर सकते हैं। राज्य सरकार और बोर्ड ने छात्रों से अपील की है कि वे सही और अधिकृत पोर्टल्स का उपयोग करें। किसी अफवाह या अनाधिकारिक वेबसाइट पर भरोसा न करें।
माशिमं की अध्यक्ष स्मिता भारद्वाज ने कहा, जो छात्र-छात्राएं फेल हो गए हैं या अपने अंकों में सुधार करना चाहते हैं, वे 17 जून से दोबारा परीक्षा दे सकेंगे। यह व्यवस्था नई शिक्षा नीति के तहत की गई। इस तरह का प्रयोग करने वाला मध्यप्रदेश देश का तीसरा राज्य बन गया है। ये फैसला नई शिक्षा नीति-2020 (NEP2020) के तहत लिया गया है। इस बदलाव से उन छात्रों को राहत मिलेगी, जिन्हें एक या अधिक विषयों में फेल होने पर पूरे साल इंतजार करना पड़ता था। इससे छात्रों को बेहतर अवसर मिलते हैं और उनका साल खराब नहीं होता।
कोई परीक्षा आखिरी नहीं: डॉ. रुचि सोनी
राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रुचि सोनी ने कहा- 10वीं और 12वीं जैसी बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम, छात्रों के लिए एक अहम मोड़ जरूर होते हैं। लेकिन इन्हें जीवन की अंतिम कसौटी नहीं माना जाना चाहिए। परीक्षाएं हमारे ज्ञान का मूल्यांकन करती हैं। जीवन की सफलता केवल अंकों से तय नहीं होती। अभिभावकों और शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को यह समझाएं कि असफलता, भविष्य की सफलता की नींव बन सकती है। छात्र अपनी तुलना दूसरों से न करें बल्कि अपनी रुचियों और क्षमताओं को पहचान कर आगे की दिशा तय करें।