
रीवा जिले में यूरिया खाद की किल्लत लगातार बनी हुई है। गढ़ क्षेत्र से लेकर तराई अंचल तक किसान खाद पाने के लिए घंटों लाइन में खड़े होने को मजबूर हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। प्रशासन भले ही रैक पहुंचने और खाद वितरण के दावे कर रहा हो, लेकिन जमीनी हालात उसके विपरीत तस्वीर पेश कर रहे हैं।
23 अगस्त को आई थी खाद की रैक
23 अगस्त को रीवा रेलवे स्टेशन पर यूरिया खाद की 1300 टन की रैक लगने की सूचना दी गई थी। इस संबंध में जिला प्रबंधक मार्केटिंग फेडरेशन शिखा सिंह वर्मा ने जानकारी दी थी कि यह रैक रीवा और मऊगंज जिलों की 75 सहकारी समितियों को आवंटित की जाएगी। अधिकारियों का दावा था कि वितरण सहकारी समितियों के माध्यम से पारदर्शिता से किया जाएगा और खाद डबल लॉक सेंटर पर नहीं भेजी जाएगी।
गढ़ क्षेत्र में किसानों की लंबी लाइनें, खाली हाथ लौटे
लेकिन, इन दावों के बावजूद गढ़ क्षेत्र सहित त्योंथर, मनगवां, सिरमौर और आसपास के इलाकों में खाद की किल्लत कम नहीं हुई है। स्थानीय किसानों ने बताया कि कई-कई घंटों तक समितियों के बाहर खड़े रहने के बाद भी उन्हें खाद नहीं मिल रही।
सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने आरोप लगाया कि “कई बार ट्रकों में खाद लाकर फोटो खिंचवाई जाती है, लेकिन वह खाद कहां जाती है, इसकी जानकारी किसी को नहीं होती।”
जमकर हो रही कालाबाजारी, दुकानों में महंगे दाम
किसानों का आरोप है कि खाद की जमाखोरी कर कुछ व्यापारी खुले बाजार में ऊंचे दामों पर यूरिया बेच रहे हैं। सरकारी रेट से ज्यादा कीमत वसूली जा रही है, जिससे गरीब और सीमांत किसान सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहे हैं। प्रशासन के पास लगातार शिकायतें पहुंच रही हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
खरीफ फसलों पर असर की आशंका
खाद समय पर न मिलने के कारण किसानों को खरीफ सीजन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खेतों में फसलें खड़ी हैं, लेकिन पोषक तत्वों की कमी के कारण उनका विकास रुक गया है। यदि जल्द व्यवस्था नहीं सुधरी तो इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ सकता है।
किसान संगठनों ने मांग की है कि खाद वितरण पर निगरानी के लिए विशेष दल बनाए जाएं और कालाबाजारी पर सख्त कार्रवाई हो।