
अवमानना नोटिस पर एडीजीपी तथा प्रभावी परिवहन आयुक्त ने जवाब पेश किया है। मोटर व्हीकल एक्ट का परिपालन सुनिश्चित करने संबंधित याचिका दायर की गई थी।
मोटर व्हीकल एक्ट का परिपालन सुनिश्चित रूप से नहीं किए जाने के संबंध में हाईकोर्ट ने प्रभारी परिवहन आयुक्त तथा एडीजीपी पुलिस मुख्यालय को तलब करते हुए उन्हें अवमानना कार्यवाही के संबंध में शोकॉज नोटिस जारी किये थे। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा के समक्ष दोनों अधिकारियों की तरफ से शोकॉज नोटिस का जवाब पेश किया। युगलपीठ ने जवाब को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई 15 फरवरी को निर्धारित की है।
विधि छात्रा ऐश्वर्या शांडिल्य की तरफ से सड़क दुर्घटना में हुई दो व्यक्तियों की मौत का हवाला देते हुए ग्वालियर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी। चीफ जस्टिस के निर्देश पर उक्त याचिका सुनवाई के लिए मुख्य पीठ में स्थानांतरित की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि दुर्घटना के समय दो पहिया वाहन चालक हेलमेट लगाए होते तो उनकी मौत नहीं होती। अधिकांश सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से सिर में चोट आने के कारण दोपहिया वाहन सवारों की मौत होती है।
याचिका में कहा गया था कि सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालय ने दो पहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट की अनिर्वायता के संबंध में आदेश जारी किये हैं। मोटर व्हीकल एक्ट में भी हेलमेट लगाकर वाहन चलाने का प्रावधान है। चौपहिया वाहनों के लिए सीट बेल्ट लगाना तथा वाहनों में हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट लगाना भी आवश्यक है, जिसका प्रदेश में पालन नहीं किया जाता है। मोटर व्हीकल एक्ट में दिये गये प्रावधानों का सख्ती से पालन किया जाये तो सड़क दुर्घटना में मौतों के ग्राफ में कमी आयेगी।
पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मोटर व्हीकल एक्ट का परिपालन निश्चित तौर पर किया जाने के आदेश जारी किए थे। आदेश का पालन नहीं होने पर युगलपीठ ने सरकार पर 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई थी। सरकार के आग्रह पर वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट, हेलमेट तथा सीट बेल्ट की अनिर्वायता का सुनिश्चित तौर पर परिपालन के लिए हाईकोर्ट ने छह महीने का समय प्रदान किया था। निर्धारित समय सीमा में आदेश का परिपालन नहीं होने के कारण हाईकोर्ट ने परिवहन आयुक्त तथा एडीजीपी पुलिस मुख्यालय को तलब करते हुए अवमानना के संबंध में उन्हें शोकॉज नोटिस जारी किये थे।
पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कोर्ट मित्र के रूप में अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय को नियुक्त किया थ। याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने दोनों अधिकारियों की तरफ से पेष किये गये जवाब को स्वीकार करते हुए कोर्ट मित्र अधिवक्ता को प्रकरण संबंधित सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किये हैं।