
1951-52 में राज्यों की श्रेणी थी जैसे मध्यप्रदेश ‘ए’, मध्य भारत ‘बी’ और भोपाल, बिलासपुर एवं विंध्य ‘सी’ श्रेणी के राज्य थे। बाद में राज्य पुनर्गठन आयोग ने इन सभी का एक नामकरण कर दिया था। चुनाव के बाद राज्यों के पुनर्गठन की कवायद आरंभ हो चुकी थी।
1951-52 में देश के पहले आम चुनाव के लिए हुए मतदान में देश में राज्यों का विभाजन भाषा के आधार पर कर दिया गया था, तब यह अनुमान लगा लिया था कि भविष्य में इन राज्यों को पुनर्गठित करना होगा। लोकसभा और राज्य विधानसभा के लिए हुए पहले चुनाव में आज के मध्य प्रदेश के भौगोलिक परिदृश्य के अनुसार देखें तो हमारा प्रदेश पांच भागों में विभाजित था।
मध्य प्रदेश में छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्से, वर्धा, नागपुर, भांडेर, यवतमाल, अमरावती और बुलढाणा अकोला शामिल थे। मध्य भारत में निमाड़, झाबुआ, इंदौर, उज्जैन, शाजापुर, राजगढ़, मंदसौर, गुना, ग्वालियर और भिंड, मुरैना, भोपाल में सीहोर, रायसेन, बिलासपुर में बिलासपुर, विंध्य में शहडोल, सीधी, रीवा, सतना, छतरपुर, दतिया और टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र थे।
1951-52 में राज्यों की श्रेणी थी जैसे मध्यप्रदेश ‘ए’, मध्य भारत ‘बी’ और भोपाल, बिलासपुर एवं विंध्य ‘सी’ श्रेणी के राज्य थे। बाद में राज्य पुनर्गठन आयोग ने इन सभी का एक नामकरण कर दिया था। चुनाव के बाद राज्यों के पुनर्गठन की कवायद आरंभ हो चुकी थी। 22 दिसंबर 1953 को न्यायाधीश फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया। यह आयोग तीन सदस्यीय था, इसमें फजल अली, हृदयनाथ कुंजरू और केएम पणिक्कर थे। इस आयोग ने 30 दिसंबर 1955 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। भारतीय संसद ने इसे 1956 में पारित किया था। इस तरह मध्य भारत, विंध्य, भोपाल राज्य को मध्य प्रदेश में विलीन कर दिया गया था। सीपी. बरार के कुछ जिलों को महाराष्ट्र में विलीन कर दिया, उत्तर प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में कुछ समायोजन कर दिया गया। इस तरह नए मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल बनाई गई थी।
1951-52 में 49 लोकसभा सीटें थीं
मध्य प्रदेश में 1951-52 में मध्य प्रदेश, मध्य भारत, भोपाल, बिलासपुर और विंध्य प्रदेश में कुल 39 लोकसभा सीटें थीं। 10 सीटों पर दो उम्मीदवार थे, इस तरह कुल सीटों की संख्या 49 थी। आरक्षण के कारण 10 सीटों पर एक सामान्य और एक आरक्षित उम्मीदवार मैदान में था।