
MP News: पालिनी कार्तिकेय महायज्ञम नाम से धर्मनगरी उज्जैन के उजड़खेड़ा हनुमान मंदिर समीप एक खास धार्मिक आयोजन हुआ। जहां पर कार्तिक स्वामी भगवान की पूजा की गई एवं हवन यज्ञ किया गया। आयोजन में केरल राज्य और सिंगापुर देश से आए 600 से अधिक लोगों ने भाग लिया।
आस्था गुरुकुल के संस्थापक गोपाल मनेरिया ने बताया कि संत महेश गुरुजी प्रेम यमुना ट्रस्ट, रामानंद जी महाराज संदपानी आश्रम, गजानंद सरस्वती के सानिध्य में दक्षिण भारत की संस्था एलएमआरके द्वारा यह धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराया गया।
सनातन धर्म के प्रचार हेतु भारत पुनः विश्व गुरु बने तथा आध्यात्मिक, भौतिक उन्नति देश के विकास के लिए हुए यज्ञ में संतों का सम्मान एवं महाप्रसादी का आयोजन भी हुआ। संचालन डॉ. प्रियंका चौबे ज्योतिषी शिव शक्ति ज्योतिष अनुसंधान द्वारा किया। सिंहस्थ क्षेत्र में हुए इस संत समागम से सिंहस्थ की यादें ताजा हो गई, दक्षिण भारतीय विद्वानों की वाणी में पूरा क्षेत्र धर्म गुंज से गुंजायमान हो उठा। आपने बताया कि इस यज्ञ में संपूर्ण भारतवर्ष के साथ ही सिंगापुर, दुबई, मलेशिया, चायना, अमेरिका, कोरिया, चायना आदि देशों से संत, अनुयायी पधारे। यहां दक्षिण भारत से आये पंडितों ने भगवान कार्तिकेय का पूजन किया साथ यज्ञ, हवन संपन्न कराया।
भारत को विश्व गुरु बनाने की कामना के साथ किया गया यज्ञ
यह यज्ञ खासकर भारतीय सेना की मजबूती के लिए और भारत देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के साथ भारत विश्व गुरु बने इसी उद्देश्य के किया गया था। यज्ञ कर रहे लोगों का कहना था कि महाकाल की नगरी में किसी भी काम को करने पर उसका 10 गुना फल मिलता है। यही वो नगरी जहां से काल गणना की जाती है। हम यज्ञ करके परिवर्तन लाने का काम कर रहे हैं।
इसीलिए उज्जैन में किया गया यह यज्ञ
यज्ञ करने आए लोगों से जब पूछा गया कि यज्ञ के लिए महाकाल की नगरी को ही क्यों चुना गया, तो केरल के श्रद्धालु ने कहा कि हम अब तक ग्रीनविच समय को फॉलो करते आये हैं। लेकिन, उज्जैन विश्व की एकमात्र नगरी है, जहां शून्य से शुरुआत होती है। कालगणना की नगरी उज्जैन है। ये विक्रमादित्य की नगरी है, यहां कालों के काल बाबा महाकाल विराजमान है। यहां किसी भी कार्य को करने से 10 गुना फल मिलता है और हमें उम्मीद है कि इस यज्ञ से पूरे देश में हमारे उद्देश्य अनुसार परिणाम जल्द सामने आएंगे। वहीं सिंगापुर से आई श्रद्धालु ने कहा कि यज्ञ में शामिल होने ने बाद कि जो अनुभूति, जो पावर है उसको हम शब्दों में बयान नहीं कर सकते।