
मध्य प्रदेश में ताजपोशी के बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने ख़ुले में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया तो फिर रिहायशी इलाकों में शराब दुकाने न खोले जाने की बात कही लेकिन सीएम के आदेश का शायद दमोह में कोई असर नही है। यही कारण है कि जिले के मुखिया यानी कलेक्टर के ऑफिस के कुछ दूर ही बाकायदा खुले में मीट मटन की दुकानें खुली है शराब का अड्डा है और अब इस सब से दुखी लाडली बहने सड़को पर आने मजबूर है। आज दमोह के कलेक्टर दफ्तर में बड़ी संख्या में आम चोपरा के रहवासी पहुंचे और उन्होंने यहां की शराब दुकान को बंद करने की मांग की। दरसल दमोह जबलपुर स्टेट हाइवे पर कलेक्टर ऑफिस से कुछ ही दूरी पर शराब दुकान है, आसपास घना रिहायशी इलाका है, कुछ कदम पर पालीटेक्निक कालेज और हॉस्टल है और आसपास दो बड़े मंदिर है बावजूद इसके यहाँ शराब का अड्डा है, जब शराब है तो माँस मछली स्वाभाविक है औऱ ये सब यहाँ के लोगो की परेशानी बन गया है। महिलाओ के मूताबिक शाम होते ही स्टेट हाइवे पर चलना मुश्किल हो जाता है, शराब दुकान के आसपास लाखो की कीमत के बने मकानों में रहने वाले लोगो को शाम से घरों में कैद हो जाना पड़ता है और उनकी ज़िंदगी पर बेहद खराब असर पड़ रहा है, आये दिन बबाल गाली गलौच का सामना यहाँ करना पड़ता है। कई बार पहले भी यहाँ के वाशिंदे शिकायत दर्ज करा चुके हैं लेकिन सरकारी शराब दुकान होने की वजह से कोई कार्यवाही नही हुई और अफसरों ने सलाह दी कि नए सत्र यानी मार्च खत्म होने के समय इस मांग को उठाया जाए तो सरकार स्थान परिवर्तन कर सकती है, इस बार मार्च क्लोजिंग के वक़्त आम चोपरा के बाशिंदे सामने आये हैं। इस मांग में शामिल सत्ताधारी भाजपा के नेता भी है जो महिलाओ के साथ उनकी आवाज़ को बुलंद कर रहे हैं। ज्ञापन देने आई महिलाओ का कहना है कि अब शराब दुकान नही उठी तो वो उग्र आंदोलन करने मजबूर होंगी। वही जिला प्रशासन के अफसर कहते हैं कि नियमंगत कार्यवाही की जाएगी।
बाईट- सुमन ( निवासी अमचोरा दमोह
बाईट- मनीष तिवारी ( भाजपा नेता दमोह)
बाईट- आर कुमार ( डिप्टी कलेक्टर दमोह)


