
Maihar Ex MLA Narayan Tripathi: विंध्य के कद्दावर नेता और मैहर सीट से चार बार विधायक रहे नारायण त्रिपाठी अब बसपा में शामिल हो गए। वे सतना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। जानिए, अब तक कैसा रहा त्रिपाठी का सियासी सफर..?
Maihar Ex MLA Narayan Tripathi: लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश में सियासी उथल-पुथल मची हुई है। राजनीतिक पार्टियों के नेता दलबदल कर अपने लिए सुरक्षित जगह तलाश रहे हैं। सबसे ज्यादा भगदड़ कांग्रेस में मची हुई है। इसी बीच गुरुवार को मैहर के पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी बसपा में शामिल हो गए। वे मैहर विधानसभा सीट से चार बार विधायक रहे हैं। त्रिपाठी को पिछले साल भाजपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया था।
हालांकि, निलंबित होने के बाद पूर्व विधायक त्रिपाठी ने ‘विंध्य जनता पार्टी’ का गठन किया था, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली थी। लेकिन, अब वे बसपा की टिकट पर सतना लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। दरअसल, सतना लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस ने ओबीसी चेहरे पर दांव लगाया है। ऐसे में चर्चा थी कि बीएसपी किसी सामान्य वर्ग के प्रत्याशी पर दांव लगा सकती है। ब्राह्मण नेता के रूप में नारायण त्रिपाठी बीएसपी को मिल गए हैं।
विधानसभा चुनाव में मिली थी हार
2023 के विधानसभा चुनाव में नारायण त्रिपाठी को हार का सामना करना पड़ा था। हार के बाद उन्होंने कहा कि उनके पास प्रचार करने के लिए समय बेहद कम था, इस कारण वे लोगों के बीच नहीं पहुंच पाए थे और कुछ षडयंत्रकारियों की वजह से चुनाव में हार हुई थी। उन्होंने कहा कि वे विधानसभा में मिली हार का बदला लेने के लिए तैयार हैं। सतना सीट जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दूंगा।
नारायण त्रिपाठी का राजनीतिक सफर
नारायण त्रिपाठी ने साल 2003 में अपने सियासी सफर की शुरुआत समाजवादी पार्टी से की थी। वे सपा के टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। करीब 10 साल बाद उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया और फिर दूसरी बार विधायक बने। लेकिन, कांग्रेस के साथ उनका सफर महज 3 साल का रहा। 2016 के उपचुनाव में नारायण त्रिपाठी भाजपा में शामिल हो गए और उपचुनाव जीतकर विधायक बने। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पार्टी विरोधी गतिविधियों को आरोप लगाते हुए पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया और विधानसभा चुनाव 2023 में मैहर सीट से श्रीकांत चतुर्वेदी को टिकट दे दिया। इसके बाद नारायण त्रिपाठी बागी हो गए और उन्होंने ‘विंध्य जनता पार्टी’ का गठन कर 25 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। लेकिन, त्रिपाठी समेत सभी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
कैसा है सतना सीट का इतिहास?
सतना सीट से भाजपा, कांग्रेस और बसपा को सांसद मिले हैं। 1989 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने सतना सीट पर पहली बार उम्मीदवार उतारा था। तब से 2019 तक पिछले तीन दशक में हुए 9 चुनावों में सिर्फ एक बार बसपा चुनाव जीत सकी है। 1996 के चुनाव में बसपा के सुखलाल कुशवाहा ने चुनाव जीता था। उनकी जीत ने राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया था। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा और कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री कुंवर अर्जुन सिंह को हराया था। सुखलाल को उस समय 1 लाख 82 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। इस चुनव में भाजपा ने यहां गणेश सिंह को टिकट दिया है। नारायण त्रिपाठी के सतना सीट पर उतरने से अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
