
दमोह में तेंदूखेड़ा के जंगल में पानी का संकट आ गया है। नदी सुख गई है और पेड़ से पत्ते झड़ गए हैं। ऐसे में जंगली जानवर पानी के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं।
दमोह के तेंदूखेड़ा ब्लॉक का आधा हिस्सा जंगल से घिरा है। जहां नदी सूख गई है और पेड़ से पत्ते झड़ गए हैं। इसलिए भोजन और पानी की तलाश में जंगली जानवर भटक रहे हैं। तेंदूखेड़ा ब्लॉक चारों ओर से नौरादेही अभयारण्य से घिरा हुआ है। इसलिए यहां के जानवर तेंदूखेड़ा, तेजगढ़, झालौन और तारादेही की रेंजों के जंगलों में अपना बसेरा बनाए हुए हैं।
सूत्रों की माने तो तेंदूखेड़ा उपवन मंडल के अधीन आने वाली रेंजों में केवल बाघ नहीं हैं। बाकी सभी प्रजाति के जानवर हैं और उनकी संख्या दर्जनों में है, जिनको राहगीर जगह-जगह देख लेते हैं। बता दें कि तेंदुआ, भालू, नील गाय, चीतल, हिरन, बंदर, सियार और रोज नामक जानवर तेंदूखेड़ा, तारादेही, झालौन और तेजगढ़ के जंगलों में अपना बसेरा बनाए हुए हैं। तेजगढ़ रेंज में राष्ट्रीय पक्षी मोर की बड़ी संख्या है। लेकिन पानी का अभाव होने के कारण ये भी अपना एरिया बदल देंगे। क्योंकि अब इनको भोजन और पानी का इंतजाम इस क्षेत्र में नहीं है।
पेड़ में पत्ते नहीं, नदियां सूखी
गर्मी शुरू होते ही तेंदूखेड़ा ब्लॉक का जंगल पतझड़ में बदल जाता है और यहां से जो नदियां निकली हैं, वह भी पूरी तरह सूख गई हैं। अज्ञात कारणों से लगने वाली आग से जंगल की परत भी गर्म बनी हुई है। ऐसी स्तिथि में जो शाकाहारी और मांसाहारी जानवर और मवेशी इन जंगलों में अपना निवास बनाए हुए थे। उनको खाने को भोजन नहीं मिल रहा और नदियों के सूख जाने से जानवर पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। अब जानवर उन स्थानों की ओर पलायन करने लगे हैं, जहां पानी और हरियाली है।
झुंड में भटकती दिखी नीलगाय
जंगल में पानी और भोजन न होने से जानवर यहां वहां भटक रहे हैं, जिनको मुख्य मार्ग से निकलने वाले राहगीरों ने अपने कैमरे में कैद किया है। तेंदूखेड़ा निवासी राहगीर पप्पू शर्मा ने बताया कि मुख्य मार्ग पर शुक्रवार दोपहर नीलगाय का झुंड दिखाई दिया, जो निश्चित ही पानी की खोज में निकला था। क्योंकि गर्मी तेज पड़ रही है और जंगली क्षेत्र में कहीं पानी बचा नहीं है। लक्ष्म्ण यादव ने बताया कि तेंदूखेड़ा से झालौन मार्ग और तेंदूखेड़ा से इमलीडोल, तेजगढ़ मुख्य मार्ग पर बंदर और सियार बड़ी तादात में मुख्य मार्ग और सूखी नदियों में पानी की खोज मे भटकते दिखते हैं। जंगली क्षेत्र में पेड़ पूरी तरह सूख चुके हैं और नदी व पानी के जल स्रोत थे, वहां भी पानी पूरी तरह खत्म हो गया है। इसलिए जानवर भटक रहे हैं।
दमोह डीएफओ एमएस उइके ने बताया कि पानी की समस्या का निराकरण कराने के लिए जो पूर्व में जंगली क्षेत्र में सोसर बने थे। उनकी सफाई करवाकर वहां पानी भरवाने के निर्देश सभी रेंजरों को दिए जाएंगे। तेंदूखेड़ा ब्लॉक का अधिकांश हिस्सा वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में चला गया है, वहां नया निर्माण नहीं हो सकता। लेकिन जो भाग सामान्य वन में है, उनमें जरूरत पड़ने पर नए सोंसर बनवाने के लिए निर्देश दिए जाएंगे।