
Bhojshala survey: हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने बताया की भोजशाला के उत्तर में पश्चिम में काम चल रहा है, गर्भ ग्रह में भी तेजी से सर्वे का काम जारी है। आने वाले समय में जांच के लिए कुछ नए साइंटिस्ट और मशीनें भी आने वाली हैं। जो साक्ष्य सामने आएंगे उससे भोजशाला का सच सामने आएगा।
धार भोजशाला के सर्वे का आज 24वां दिन है। रविवार को एएसआई टीम के 22 अधिकारी-कर्मचारी 27 मजदूरों और आधुनिक उपकरणों के साथ सुबह 8 बजे भोजशाला परिसर पहुंचे। इंदौर हाईकोर्ट बेंच के आदेश के अनुसार भोजशाला और भोजशाला के 50 मीटर के दायरे में उत्खनन, जीपीएस, जीपीआर, कार्बन डेटिंग, उच्च स्तरीय फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी समेत अन्य आधुनिक तकनीक के माध्यम से लगातार सर्वे किया जा रहा है। सुरक्षा के लिहाज से भोजशाला के आसपस पुलिस अधिकारियों समेत बड़ी संख्या में पुलिस जवान तैनात किए गए हैं।
हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने बताया की भोजशाला के उत्तर में पश्चिम में काम चल रहा है, गर्भ ग्रह में भी तेजी से सर्वे का काम जारी है। आने वाले समय में जांच के लिए कुछ नए साइंटिस्ट और मशीनें भी आने वाली हैं। जो साक्ष्य सामने आएंगे उससे भोजशाला का सच सामने आएगा। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि शनिवार को जानकारी लगी है कि कमाल मौलाना दरगाह के नीचे तलघर है। साथ ही दो गुंबदों के नीचे एक हनुमानजी का मंदिर है और दूसरे गुंबद के नीचे कमलनाथ की समाधि थी और दक्षिणेश्वर महादेव शिवलिंग की स्थापना थी, यहां नाथ संप्रदाय था।
गोपाल शर्मा ने बताया कि धार शहर में जो 437 मजारे हैं, वे नाथों की समाधियां है। कमाल मौलाना 1269 में आए थे और 1305 में अहमदाबाद चले गए थे, उनकी मजार पुराना जीपीओ कार्यालय के पीछे बनी हुई है, उनके मरने के 300 साल बाद 16वीं शताब्दी में मोहम्मद खिलजी और मोहम्मद गौरी ने वहां से ईट लाकर हमारे दोनों देवस्थानों को ध्वस्त कर मजार बना दी थी। कई उदाहरण है जैसे ताजमहल में जाओ तो नीचे तलघर है, वहां नीचे एक सफेद मजार बनी हुए है, जिस पर जमुना जी का पानी एक-एक बूंद गिरता है, पानी शिवलिंग पर ही गिरता है। कुतुब मीनार भी 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर बनाया गया था।
इसी प्रकार कुतुब मीनार 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर बनाया गया था, इसी प्रकार अकबर ने एक दिन इलाही धर्म की स्थापना की थी। कुछ सूफी संत तैयार किए थे उन्हीं सूफी संतो ने देश के हिंदू मंदिरों में जाकर सेवा की आड़ में धर्मांतरण किया था आज वह 30 हजार स्थान हिंदू मंदिरों से वंचित होकर मस्जिदों में परिवर्तित हुए हैं और हिंदू समाज अपमानित हुआ है उसी में एक भोजशाला भी है। ऐसे ही धार की भोजशाला है जहां 5 हजार विद्यार्थी अध्ययन करते थे और 1300 आचार्य विद्यादान करते थे, यहां से तैयार होने के बाद विद्वान पूरे आर्यावर्त में हिंदू समाज का प्रचार करना और हिंदू समाज का मार्गदर्शन करने का काम करते थे, इस मानसिकता को खत्म करने के लिए 1305 में अलाउद्दीन खिलजी ने यहां आक्रमण किया था। इस सर्वे के बाद निश्चित रूप से यहां पहले राजा भोज के काल में इस भोजशाला का जो स्वरूप था मां सरस्वती मंदिर का जो स्वरूप था वह पुनः प्राप्त होगा।
शिलालेख और पत्थर उर्दू, अरबी और फारसी में लिखा
कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष और मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद खान ने बताया कि अंदर सर्वे का काम अपनी गति से चल रहा है। दरगाह के अंदर जो भी शिलालेख और पत्थर मिल रहे हैं जिन पर उर्दू, अरबी और फारसी में लिखा हुआ है। उनकी जांच के लिए जल्दी ही कुछ मशीनें और साइंटिस्ट यहां पहुंचने वाले हैं। साथ ही कहा कि सर्वे के दौरान साफ सफाई फोटोग्राफी वीडियोग्राफी, लेबलिंग स्केचिंग और ड्राफ्टिंग का काम हुआ है, जिससे वे किस समय के हैं यह पता लगाया जा सके यह सारी बातें वह गुप्त रख रहे हैं। जो कोर्ट के सामने ही पेश होंगे।