
28 करोड़ रुपये का घोटाला नगर निगम अफसरों की सांठ-गांठ के बगैर नहीं हो सकता है,क्योकि वर्क आर्डर जारी होने के बाद निर्माण कार्य होते है और उन कामों को देखने के बाद फिल्ड इंजीनियरों की तरफ से अेाके रिपोर्ट आती है।
इंदौर नगर निगम में 28 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है, लेकिन बिलों का भुगतान होने से पहले आडिट विभाग को शंका हुई। फिर से भुगतान के लिए अाई फाइलों को खंगाला तो घोटाले का पता चला। नगर निगम अफसरों की शिकातय पर एमजी रोड थाने में पांच फर्मों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
आशंका है कि लंबे समय से काम किए बगैर फाइलें बिलों के भुगतान के लिए लगाई जा थी, लेकिन कामों का भौतिक सत्यापन करने वाले अफसरों ने आंख मूंदे रखी और मौके पर जाकर निर्माणों की जांच नहीं की। घपला करने वाली फर्मों के पुराने कामों की जांच भी जल्दी शुरू होगी।
जिन फर्मों के खिलाफ एमजी रोड थाने में केस दर्ज हुुआ है। उनके नाम जाकिर (किंग कंस्ट्रक्शन) मो.सिद्दिकी (ग्रीन कंस्ट्रक्शन), साजिद (न्य कंस्ट्रक्शन), राहुल वढेरा ( जान्हवी इंटरप्राइजेस) रेणु (सीपी इंटरप्राइजेस) है। इन फर्मों को 20 ड्रेनेज लाइनों के काम दिए गए थे।
अफसरों की भूमिका भी कठघरे में
28 करोड़ रुपये का घोटाला नगर निगम अफसरों की सांठ-गांठ के बगैर नहीं हो सकता है,क्योकि वर्क आर्डर जारी होने के बाद निर्माण कार्य होते है और उन कामों को देखने के बाद फिल्ड इंजीनियरों की तरफ से अेाके रिपोर्ट आती है। उन अफसरों की साइन भी फाइलों पर रहती है।
उसके बाद फाइलें भुगतान केे अकाउंट विभाग में जाती है और फिर बिलों का भुगतान होता है। भुगतान के लिए गई फाइलों पर आडिट विभाग की आपत्ति आई थी। इसके बाद कार्यपालन यंत्री सुनील गुप्ता ने एमजी रोड थानेे में शिकायत दर्ज कराई। अब पुलिस इस मामले में जांच करेगी।