
2022 बैच के 15 आईएफएस अधिकारियों को तीन दिन तक नोरादेही अभयारण्य की अलग-अलग रेंजों में जाकर प्रशिक्षण दिया गया है। इसमें जंगली जानवर और पक्षियों के रहवास की जानकारी दी गई।
देश के 15 प्रशिक्षु आईएफएस अफसर प्रशिक्षण लेने नौरादेही अभयारण्य पहुंचे। जहां उन्होंने जाना कैसा होता है जंगल का जीवन, जंगल में रहने बाले जानवर और पक्षी किस तरह अपना बसेरा बनाते हैं, उनकी निगरानी किस तरह की जाती है। नोरादेही के डीएफओ और वीरांगना रानी दुर्गा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डारेक्टर डॉक्टर अब्दुल अंसारी द्वारा तीन दिनों तक यह प्रशिक्षण दिया गया।
बता दें वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश का सातवां और सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है। 2022 बैच के 15 आईएफएस अधिकारी नौरादेही पहुंचे। जिन्होंने तीन दिन लगातार इस अभयारण्य की अलग-अलग रेंजों में जाकर प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण के दौरान डीएफओ ने बताया कि टाइगर रिजर्व या अभयारण्य में किस तरह कार्य किया जाता है। इसकी पूरी जानकारी नौरादेही के डीएफओ डॉक्टर अंसारी द्वारा दी गई। प्रशिक्षण में आए अधिकारियों को डीएफओ ने अलग-अलग रेंजों में होने वाले कार्यों के प्रति जानकारी दी। जंगली जानवर किस तरह शिकार करते हैं। जंगली जानवर का रेस्क्यू किस तरह किया जाता है।
शाकाहारी और मांसाहारी जानवर पर किस तरह कार्य किया जाता है उनकी निगरानी किस तरह की जाती है इसकी जानकारी एकत्रित की। लुप्त प्रजाति के पक्षियों का कैसे पता लाया जाता है, उनकी गणना किस तरह की जाती है। जो क्षेत्र टाइगर रिजर्व में आ जाता है वहां के रहवासियों का किस तरह विस्थापन होता है इसको भी समझा गया। यहां पहुंचे अधिकारियों ने नौरादेही रेंज में घास के मैदानों का प्रशिक्षण लिया। नौरादेही की रेंज डोगरगांव में सबसे ज्यादा गिद्ध हैं, वहां पहुंचकर अधिकारियों ने गिद्ध के घोसले का प्रशिक्षण लिया। उनकी संख्या और निगरानी कैसे होती है इसकी पूरी जानकारी एकत्रित की। साथ ही मुहली रेंज के कुछ गांव पहुंचकर ग्रामीणों से अधिकारियों को मिलवाया गया जिनका विस्थापन होना है। वह किस तरह किया जाता है उनकी पूरी प्रकिया समझी।
तीन दिवसीय था प्रशिक्षण
नौरादेही के डीएफओ डॉक्टर अब्दुल अंसारी ने बताया कि 2022 बैच के 15 आईएफएस अधिकारियों को तीन दिन तक नौरादेही अभयारण्य की अलग-अलग रेंजों में जाकर प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों को रिजर्व क्षेत्र में घास के मैदान की जानकारी, पक्षियों या लुप्त प्रजाति गिद्ध किस तरह अपने घोंसला बनाते हैं। उनका रहन सहन किस तरह होता है उनकी संख्या बढ़ाने के लिए क्या-क्या उपाय करने चाहिए, इसकी जानकारी दी गई। जंगल में रहने बाले मांसाहारी और शाकाहारी जानवरों की निगरानी किस तरह की जाती है। इसकी जानकारी देने के साथ गांव का विस्थापन किस तरह होता है प्रशिक्षण के दौरान बताया गया है।