
गांधी हाॅल का निर्माण 1904 में ब्रिटिश काल में किया गया था। उस दौर में इसके निर्माण पर ढाई लाख रुपये खर्च हुए थे। तब इसका नाम किंग एडवर्ड हाॅल रखा गया था। अब इसे गांधी हॉल के नाम से जाना जाता है। डेढ़ साल पहले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इसकी 25 करोड़ में मरम्मत की गई थी।
इंदौर के गांधी हाॅल को संवारने में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 25 करोड़ लगाए और अब उसे चोरों के हवाले छोड़ दिया गया है। हाॅल में लगाए बेशकीमती पंखे, बिजली के एंटिक स्वीच, नकूचे गायब हो गए हैं। चोरों से बचाने के लिए यहां जो सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे चोरों ने उनकी वायरिंग उखाड़ दी है। हैरानी की बात है कि चोर पहली मंजिल की गैलरी में जाने वाला सागवान का दरवाजा ही उखाड़कर अपने साथ ले गए।
शहर की पुरातन धरोहर गांधी हाॅल एक अच्छा टूरिस्ट स्पाॅट बन सकता है। वहां प्रदर्शनी लगाई जा सकती है, ताकि इस पुरानी इमारत की रौनक बनी रही और नगर निगम की आय भी हो सके। लेकिन, मेयर पुष्य मित्र भार्गव ठोस निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।
120 साल पहले बना था गांधी हाॅल
गांधी हाॅल का निर्माण 1904 में ब्रिटिश काल में किया गया था। तब इसके निर्माण पर ढाई लाख रुपये खर्च हुए थे। प्रिंस आफ वेल्स (जार्ज पंचम) के भारत आगमन पर इसका निर्माण किया गया था, तब इसका नाम किंग एडवर्ड हाॅल रखा गया था। आजादी के बाद इसका नाम गांधी टाउन हाॅल किया गया। पहले हाॅल में पुस्तकालय संचालित होता था और परिसर में बगीचा बना था। बच्चों के लिए झूले-चकरी, फिसलपट्टी थी।
25 करोड़ में की गई मरम्मत
बता दें कि डेढ़ साल पहले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत गांधी हाॅल की 25 करोड़ रुपये में मरम्मत की गई। वाटर प्रूफिंग, पत्थरों की घिसाई, नक्काशीदार सीलिंग समेत कई तरह के काम कर हाॅल को नए सिरे से मजबूत कर संवारा गया। हाॅल की सुरक्षा में चार बुर्जुग चौकीदार तैनात रहते हैं, लेकिन वे चोरी की घटनाओं को नहीं रोक पा रहे हैं। वर्तमान में नगर निगल हाॅल को 12 हजार रुपये प्रतिदिन की दर से किराए पर देता है।
हाॅल के उपयोग का प्रस्ताव एमआईसी बैठक मे रखेंगे
जनकार्य समिति प्रभारी राजेंद्र राठौर ने बताया कि गांधी हाॅल को पहले पीपीपी पर देने का विचार किया गया था, लेकिन बाद में नगर निगम ने उसे खुद संचालित करने का फैसला लिया। गांधी हाॅल के उचित उपयोग का प्रस्ताव एमआईसी बैठक में रखा जाएगा।