
बुरहानपुर जिले की महाराष्ट्र सीमा से सटे करीब एक दर्जन गांवों में खड़ी केला फसल खेतों में आड़ी हो गई है। किसान सोमवार को जब अपने खेतों में पहुंचे तो बर्बाद हुई केले की फसल देखकर रो पड़े। किसानों ने इसकी सूचना हल्के के पटवारी को भी दी है, तो वहीं अब उन्हें राजस्व विभाग के सर्वे के इंतजार के बाद मुआवजा राशि की दरकार है।
मध्य प्रदेश में पिछले दिनों पड़ी भीषण गर्मी के बाद अब प्री मानसून बारिश का दौर जारी है। इस बारिश से मौसम में ठंडक घुलने के चलते एक ओर जहां आमजन को गर्मी से कुछ राहत तो मिली है, वहीं दूसरी ओर बारिश के साथ आने वाली हवा से जनजीवन अस्त व्यस्त हुआ है। इसका सबसे अधिक असर खेतों में खड़ी फसलों पर हुआ है, जहां आंधी के चलते फसल बर्बाद हो गई है।
रविवार को मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल के बुरहानपुर जिले में प्री मानसून बारिश के बाद तेज आंधी चली थी। इसके बाद सोमवार को जब यहां के ग्रामीण क्षेत्र के किसान अपने खेतों में पहुंचे तो वहां केले की फसल बर्बाद होकर आड़ी पड़ी मिली। इसे देख किसानों की आंखों से आंसू निकल गए, तो वहीं अब उन्हें शासन से मुआवजे की दरकार है।
प्री मानसून बारिश के बीच बुरहानपुर जिले की महाराष्ट्र सीमा से सटे करीब एक दर्जन गांवों में खड़ी केला फसल खेतों में आड़ी हो गई है। रविवार देर शाम हुई बारिश के बाद जिले के पातोंडा, बिरोदा, भोलाना, जैसे गांव में खेतों में लगी केले की खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। यहां के किसान सोमवार को जब अपने खेतों में पहुंचे तो बर्बाद हुई केले की फसल देखकर रो पड़े। किसानों ने इसकी सूचना हल्के के पटवारी को भी दी है, तो वहीं अब उन्हें राजस्व विभाग के सर्वे के इंतजार के बाद मुआवजा राशि की दरकार है।
15 दिन पहले बर्बाद हुई फसल का अब तक नहीं मिला मुआवजा
हालांकि केले की फसल की नुकसानी पर राज्य शासन द्वारा दी जा रही मुआवजा राशि नाकाफी रहती है जिसे लेकर कई बार सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष भी इस मुद्दे को उठा चुका है, लेकिन स्थिति जस की तस है। बता दें कि जिले में 15 दिन पहले भी इसी तरह से तेज हवा आंधी के बाद करीब 65 से अधिक गांव के किसानों की केला फसल बर्बाद हो गई थी। हालांकि उसके बाद जिला प्रशासन ने दल गठित कर सभी गांव में सर्वे कराकर नियमानुसार मुआवाजा राशि के प्रस्ताव राज्य शासन को भेज दिए हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते फिलहाल किसानों को यह राशि अब तक नहीं मिल पाई है।
बर्बाद हुई फसल को उठाने में जेब से लगेगी मजदूरी
इधर देर शाम आई इस प्राकृतिक आपदा के चलते बर्बाद हुई अपनी फसल को देखकर आंखों में भरे आंसू पोंछते हुए किसान ओमराज बावस्कर ने बताया कि उन्होंने खेत में केले के आठ हजार पेड़ लगाए थे, जिसमें से अधिकतर पेड़ तेज आंधी से गिर गए हैं। वहीं अब खेत में गिरे पेड़ों को उठाने के लिए भी जेब से मजदूरी देनी होगी, और केले के भी सही दाम नहीं मिलेंगे। वहीं उन्होंने बताया कि यही हाल अन्य किसानों का भी है।
संसद में भी उठ चुकी है फसल बीमा योजना लागू करने की मांग
बता दें कि लंबे समय से केला उत्पादक किसान केले पर फसल बीमा लागू करने की मांग कर रहे है, क्योंकि केवल फसल बीमा योजना लागू होने से ही प्राकृतिक आपदा में केला किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई हो सकती है। वहीं क्षेत्र के सांसद ज्ञानेश्वर पाटील ने भी इसके लिए संसद में केले पर मौसम आधारित फसल बीमा योजना लागू करने का प्रश्न उठाया था। वहीं समय समय पर किसान संगठनों के साथ ही विपक्षी दल भी केला उत्पादक किसानों के लिए मौसम आधारित फसल बीमा योजना की मांग करते चले आ रहे हैं। बता दें कि 15 दिन पहले आई प्राकृतिक आपदा के बाद बुरहानपुर विधायक व पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस ने भी मप्र के उद्यानिकी मंत्री नारायण सिंह कुशवाह से मुलाकात कर केले पर मौसम आधारित फसल बीमा योजना लागू करने की मांग की है।