
मध्यप्रदेश के सीहोर में पौधारोपण के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां पौधारोपण के लिए गड्ढे खोदे ही नहीं गए और पैसा निकाल लिया गया। पोल खुली तो वन संरक्षक ने जांच के निर्देश दिए।
सीहोर जिले में पौधारोपण के नाम पर विभागों में कागजी खानापूर्ति की जा रही है। जबकि धरातल पर ऐसा कुछ नहीं है। जिले में वन विकास निगम का पौधारोपण घोटाला उजागर हुआ है, जहां वन विभाग ने निगम को पौधारोपण के लिए जमीन दी। लेकिन पौधारोपण तो दूर की बात, यहां गड्ढे तक नहीं खोदे गए और करोडों रुपये की राशि निकाल ली गई है। अब इस पूरे मामले की जांच वन विभाग की टीम कर रही है।
पौधारोपण का हल्ला तो खूब होता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इस दिशा में ठोस प्रयास नहीं किए जाते, जिस तेजी से जिले में जंगल साफ हो रहे हैं और उनमें अतिक्रमण किया जा रहा है, उस गति से जंगलों में वनभूमि पर पौधारोपण नहीं किया गया। प्रतिवर्ष पौधारोपण के नाम पर भारी भरकम राशि तो आहरण की जाती है। लेकिन इस राशि का दुरुपयोग किया जाता है। इसलिए कभी सार्थक परिणाम सामने नहीं आते।
जानकारी के अनुसार, वन विकास निगम द्वारा वन विभाग की जमीन पर 2018-19 और 2020 में पौधरोपण किया गया था। जिले की वन परिक्षेत्र आष्टा और वन परिक्षेत्र इछावर के पांच-पांच स्थान पौधारोपण के लिए चिन्हित किए गए थे, जिनमें बडी संख्या में पौधरोपण और चेक डैम व अन्य निर्माण कार्य होने बताए गए थे। लेकिन यह सब काम कागजों में किए गए, अब निगम के इन कार्यों की पोल खुल रही है।
दो टीमों को जांच का जिम्मा
बताया जा रहा है कि वन सरंक्षक एमएस डाबर ने इस पूरे मामले में जांच के निर्देश दिए थे और दो जांच दल गठित किए थे। आष्टा साइट पर एसडीओ राजेश शर्मा और वन विकास निगम एसडीओ जांच कर रहे हैं, जबकि इछावर साइट पर बुधनी एसडीओ स्वीकृति ओसवाल और वन विकास निगम रेंजर जांच संभाल रहे हैं।
बताया जा रहा है कि 30 मई तक जांच पूरी कर डीएफओ को सौंपना था। लेकिन जांच डेट लाइन निकल जाने पर भी जांच पूरी नहीं हो सकी। इसलिए अब इस जांच को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इस मामले में वन सरंक्षक एमएस डाबर का कहना है कि दो दल जांच कर रहे हैं। अभी मेरे पास रिपोर्ट नहीं आई, रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कह सकते हैं।