
सागर के घरोंदा आश्रम की हेड प्रीति यादव ने बताया कि बच्चे को परिवार की याद आ रही थी। बड़ी कोशिशों के बाद बच्चे का आधार कार्ड निकाला गया। उसके जरिए मिले मोबाइल नंबर पर बात कर परिवार को इसकी जानकारी दी। वीडियो कॉल पर माता-पिता से बात कराई गई तो दोनों ने एक दूसरे को पहचान लिया।
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में रहने वाले के एक परिवार के लिए ईद का त्योहार खुशियां लेकर आया। उन्हें उनका इकौता बेटा मिल गया जो 18 महीने से लापता था। मूकबधिर बेटे के सकुशल होने की खबर लगते ही परिवार के लोग खुशी से झूम उठे।
दरअसल, करीब 18 महीने पहले उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में रहने वाले जियाउद्दीन खान का मूक बधिर बेटा आरिफ ट्रैन में बैठकर घर से लापता हो गया था। वह अमरोहा से सीधे मप्र के इंदौर आ गया, यहां उसे योगपुरुष आश्रम में रखा गया था। लेकिन, पिछले दिनों आश्रम में बच्चों की संख्या बढ़ जाने के कारण उसे 10 दिन पहले सागर के घरौंदा आश्रम में स्थानांतरित कर दिया गया था।
सागर के आश्रम में आया यह लड़का मूक बधिर था और पढ़ा लिखा नहीं होने के कारण कुछ लिख भी नहीं पाता था। इन्हीं सब के बीच इस नए आश्रम में पहुंचे इस बच्चे को अपने परिवार की याद आ रही थी। ऐसे में आश्रम की संचालिका प्रीति यादव ने उसके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की लेकिन, वह कुछ बता नहीं पा रहा था।
आश्रम प्रबंधन ने दिल्ली और भोपाल से जानकारी जुटाई तो आरिफ का डुप्लीकेट आधार कार्ड मिल गया, जिससे उसके घर का मोबाइल नंबर मिला। इसके बाद प्रीति यादव ने आरिफ के माता-पिता से बात कराई तो वह बेटे को देखकर भावुक हो गए और एक-दूसरे को पहचान गए। अमरोहा से उसके परिजन सागर पहुंचे, आश्रम आते ही पिता आरिफ से लिपटकर रोने लगे। आरिफ 6 बहनों में इकलौता बेटा है जो 18 महीने पहले घर से ट्रेन में बैठकर लापता हो गया था।
परिवार के लोगों ने उत्तर प्रदेश के कई शहरों में आरिफ को खोजा, लेकिन उसका कोई पता नहीं लगा। उसके थाने में गुमशुदा की शिकायत दर्ज कराई गई थी, ट्रेन स्टेशन में पोस्टर भी लगवाए था। घरोंदा आश्रम की हेड प्रीति यादव ने बताया कि बच्चे को कुछ दिन पहले से परिवार की याद आ रही थी। बड़ी कोशिशों के बाद बच्चे का आधार कार्ड निकाला गया। उसके जरिए मिले मोबाइल नंबर पर बात कर परिवार को इसकी जानकारी दी। वीडियो कॉल पर बच्चे के माता-पिता से बात कराई गई तो दोनों ने एक दूसरे को पहचान लिया। जिसके बाद बच्चे के माता-पिता उसे लेने के लिए सागर आए और जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर उसे अपने साथ ले गए।