
स्टेशन प्रबंधक मुकेश कुमार जैन का कहना है कि मैं पता करता हूं कि किस एजेंसी द्वारा इन पेड़ों को नुकसान पहुंचाया गया है। जितने पेड़ नष्ट किए गए हैं, उतने ही पेड़ दूसरी जगह लगवाए जाएंगे।
दमोह में रेलवे के अधिकारियों ने स्टेशन परिसर में लगे 400 से अधिक पेड़ों को कटवा दिया है हैरानी की बात यह है कि इन्हीं अधिकारियों ने यह पेड़ लगाए थे। लेकिन आवास बनाने के लिए इन्हीं पेड़ों का काट दिया गया। एक महीने पहले जिस स्थान पर चारो ओर हरियाली नजर आती थी, अब वहां पर वीरान जैसा दिखाई दे रहा है।
रेलवे स्टेशन परिसर में पथरिया फाटक रेलवे ओवर ब्रिज के पास साल 2017-18 में रेलवे कर्मचारियों द्वारा खाली पड़ी करीब एक एकड़ बंजर जमीन में बारिश के मौसम में पौधरोपण किया गया था। पेड़ों की सुरक्षा के लिए चारों तरफ फेंसिंग लगाई गई थी। साथ ही पेड़ों को नियमित पानी देने के लिए ड्रिप एरिगेशन पद्धति से पाइप लाइन डाली गई थी, जिसके माध्यम से प्रत्येक पौधे में बूंद-बूंद पानी पहुंचाया जाता था।
इस पद्धति से इन पौधों की ग्रोथ तेजी से हुई। सात साल में ही यहां लगे अधिकांश पौधों ने आठ से 10 फीट के पेड़ों का रूप ले लिया था। बारिश के मौसम में तो यहां की हरियाली देखते ही बनती थी। लेकिन करीब 15 दिन पहले ही रेलवे द्वारा इस जमीन पर शासकीय क्वॉर्टर बनाने के नाम पर यहां लगे पेड़ों को कटवा दिया गया और गहरे गड्ढे खोदकर पिलर खड़े किए जा रहे हैं, जिससे यहां लगे 90 फीसदी पेड़ एक महीने के अंदर ही गायब हो गए हैं। अब केवल रेलवे ओवर ब्रिज की तरफ ही कुछ नाम मात्र के पेड़ लगे हैं। उन्हें भी आगामी दिनों में काट दिया जाएगा। रेलवे की इस कार्य प्रणाली को लेकर पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि एक-एक पेड़ तैयार होने में वर्षों का समय लग जाता है। वहीं, यहां पर इतने अधिक पेड़ काट दिए गए।
बताया गया है कि तीसरी लाइन प्रोजेक्ट के तहत अधिकारियों के निवास के लिए क्वॉर्टर बनाने के लिए ही इन पेड़ों को काटा है। बता दें कि दो साल पहले ही दमोह स्टेशन का चयन ईको फ्रेंडली स्टेशन के रूप में किया गया था, अब यह तमगा भी छिन जाएगा।
जानकारी न होने की बात कह रहे अधिकारी
इतनी अधिक संख्या में पेड़ों की कटाई को लेकर आईओडब्ल्यू विभाग के भूपेंद्र सिंह का कहना है कि यह काम हमारे द्वारा नहीं बल्कि तीसरी लाइन प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है। वहां कौन से निर्माण हो रहे हैं और पेड़ क्यों काटे गए, इसकी जानकारी हम नहीं दे सकते। वहीं, स्टेशन प्रबंधक मुकेश कुमार जैन का कहना है कि मैं पता करता हूं कि किस एजेंसी द्वारा इन पेड़ों को नुकसान पहुंचाया गया है। जितने पेड़ नष्ट किए गए हैं, उतने ही पेड़ दूसरी जगह लगवाए जाएंगे।