
मध्य प्रदेश में सत्ता और संगठन में समन्वय बनाने का मॉडल जल्द लागू होगा। इसमें भाजपा कार्यालय में सप्ताह में पांच दिन बारी बारी से एक मंत्री बैठेंगे और प्रदेश के पार्टी कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुनेंगे और उन्हें हल करेंगे।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकार और संगठन के बीच बेहतर समन्वय के लिए मॉडल तैयार किया है। यह देश के दूसरे राज्यों में लागू हो गया है। अब इसे मध्य प्रदेश में भी लागू किया जाएगा। इसमें भाजपा प्रदेश कार्यालय में एक मंत्री बैठेंगे। वे प्रदेश के पार्टी कार्यकर्ताओं की बातों को सुनेंगे और उनको हल करेंगे। इसे सहयोग केंद्र मॉडल नाम दिया गया है। इसमें भाजपा के कैबिनेट मंत्रियों की सप्ताह में पांच दिन ड्यूटी लगाई जाएगी। उनके साथ संगठन का भी एक नेता साथ बैठेगा। ये सप्ताह में पांच दिन तीन घंटे कार्यालय में बैठेंगे। हालांकि अभी कब से शुरुआत होगी, मंत्री किस किस दिन और कितने समय बैठेंगे यह सब तय होना है। केंद्रीय सह संगठन महासचिव शिवप्रकाश, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के बीच चर्चा हो चुकी है। इसे विधानसभा के मानसून सत्र के बाद लागू किया जा सकता है।
प्रदेश में इसलिए भी जरूरी
लोकसभा चुनाव के फीडबैक में कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों पर उनकी सुनवाई नहीं करने का आरोप लगाया है। इसके चलते कई जगह कार्यकर्ता प्रचार की जगह घर बैठ गए। इससे कई बूथों पर पार्टी को नुकसान हुआ। यह जानकारी शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची। इसके बाद सत्ता और संगठन के बीच समन्वय बनाने के लिए इस सहयोग केंद्र को जल्द शुरू करने की बात कही गई है।
यह भी पहल की जा रही
भाजपा अब कमजोर बूथों को जीतने के लिए विकास ओर टोली बैठक करके अपने आपको मजबूत करेगी। इसके लिए जिलों में विकास कार्यों के साथ ही संगठन के पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की बैठकों का आयोजन किया जाएगा। इसमें कार्यकर्ताओं के बताए कार्यों को प्राथमिकता से करने पर काम किया जाएगा। इसके लिए विधायका, सांसदों और अन्य जनप्रतिनिधियों का प्रशिक्षण किया जाएगा। जिसमें जिला और राज्य के संगठन पदाधिकारियों को भी आमंत्रित किया जाएगा।
पार्टी के निर्णय पर नहीं हुआ अमल
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार के समय प्रदेश में तीन मंत्रियों के पार्टी कार्यालय में बैठने को लेकर निर्णय लिया गया था। उस समय भी उनके कार्यकर्ताओं की समस्या सुनने की बात कहीं गई थी, लेकिन इस पर अमल नहीं हो सका। अब पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इसे लागू कराने को लेकर गंभीर है। भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया कि यह सहयोग केंद्र का मॉडल सत्ता और संगठन के बीच समन्वय के लिए बनाया गया है। यह कई राज्यों में लागू हो गया है। जल्द ही मध्य प्रदेश में भी लागू होगा।