
पुणे पोर्शे हादसे में मारे गए मध्य प्रदेश के इंजीनियरों के परिजनों का गुस्सा अब मोहन यादव सरकार के खिलाफ फूट पड़ा है। उनका कहना है कि राज्य सरकार की ओर से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिला है। कोई पीड़ित परिवार से मिलने तक नहीं गया है।
पुणे हिट एंड रन केस में मध्य प्रदेश के दो युवा इंजीनियरों की मौत हो गई थी। पीड़ित परिवारों का आरोप है कि इस पूरे मामले में प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार का रवैया निराशाजनक रहा है। प्रदेश के निवासी युवा इंजीनियरों के शव लाने से लेकर घटना की निष्पक्ष जांच में प्रदेश सरकार की भूमिका उदासीन रही। प्रदेश सरकार की तरफ से कोई व्यक्ति भी पीड़ित परिवार से मिलने तक नहीं पहुॅचा है।
पुणे में 19 मई को पाली बिरसिंहपुर निवासी अनीश अवधिया तथा जबलपुर निवासी अश्विनी कोस्टा की बाइक को नशे में धुत नाबालिग ने कार से टक्कर मार दी थी। इस घटना में प्रदेश के निवासी दोनों युवा इंजीनियरों की मौत हो गई थी। अनीश के पिता ओपी अवधिया का कहना है कि युवा पुत्र की मौत खबर मिलने से वह सदमे में थे। प्रदेश सरकार ने दोनों के शव लाने की प्रक्रिया में सहयोग प्रदान करना था, परंतु ऐसा नहीं किया गया। शव लाने में दो दिन से अधिक का समय लगा। घटना के बाद पीड़ित परिवार को उम्मीद थी कि घटना की निष्पक्ष जांच के लिए प्रदेश सरकार अपनी तरफ से महाराष्ट्र सरकार से चर्चा करेंगी। इसके लिए पीड़ित परिवार ने प्रदेश सरकार से गुहार लगाई थी। इसके बावजूद भी प्रदेश सरकार के द्वारा कोई पहल नहीं गयी गयी।
इसके विपरीत महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने ओएसडी को पीड़ित परिवार से मिलने जबलपुर भेजा। शिवसेना के प्रदेश अध्यक्ष उनके घर आए थे। दोनों परिवारों से एकनाथ शिंदे ने फोन पर व्यक्तिगत रूप से चर्चा की थी। इसके अलावा पुणे के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भी जबलपुर व पाली आए थे। पीड़ित परिवार से मिलकर पुलिस जांच की जानकारी दी थी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई में सोमवार को पीड़ित परिवार से मुलाकात कर मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि पुणे को उड़ता पंजाब नहीं बनने देंगे। इस संबंध में उन्होंने पुणे पुलिस आयुक्त को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए हैं। उन्होने मुख्यमंत्री शिंदे से मांग रखी थी कि ऐसी कार्ययोजना निर्धारित करे कि घटना होने पर पीड़ित परिवार को तत्काल सूचना मिल जाए। मुख्यमंत्री ने दोनों पीड़ित परिवारों को दस-दस लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी प्रदान की है।
पिता का गुस्सा फूटा
ओपी अवधिया का कहना है कि उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण उन्हें प्रदेश सरकार से किसी प्रकार की उम्मीद नहीं है। इलेक्शन का समय होता हो सभी सहयोग के लिए आगे आते। एक माह पूर्व उनके बेटे की मौत हो गई है। इसके बावजूद भी नगर पालिका से फोन आते हैं कि अनीश का आधार कार्ड अपग्रेड किया जाए। दस हजार के पथ विक्रेता लोन के संबंध में फोन आते हैं। बेटे के मौत की खबर जगजाहिर है। इसके बावजूद भी इस प्रकार के फोन आने से दिल दुखता है। मुझे ऐसी आशंका है कि बेटे के नाम पर किसी ने फर्जी लोन तो नहीं निकाल लिया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार की कार्यप्रणाली व पुलिस की जांच से वह संतुष्ट हैं। इसके अलावा अन्य दोषियों के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज किए।