
भगवान जगनाथ स्वामी अभी बीमार हैं, लेकिन उनकी रथयात्रा की तैयारियां शुरू हो गई है। शहर के दो मंदिरों से भगवान की रथयात्रा निकाली जाती है, जिसमें पुरैना तालाब के पास स्थित भगवान जगदीश स्वामी मंदिर से एवं दूसरी हनुमानगढ़ी मंदिर से निकलती है।
दमोह में आगामी सात जुलाई को भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई है। प्राचीन परंपरा अनुसार भगवान जगन्नाथ स्वामी बीमार चल रहे हैं, जो मंदिरों में छह जुलाई तक शयन मुद्रा में लीन हैं। इस दौरान केवल भगवान को दलिया, खिचड़ी व मूंग की दाल सहित हल्के खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाएगा।
वहीं, वैद्यराज भी मंदिर में आकर भगवान की नाड़ी देखकर जड़ी-बूटियां दे रहे हैं। अब भगवान छह जुलाई को पूर्ण रूप से स्वस्थ्य होंगे और सात जुलाई को भगवान जगन्नाथ भाई बलदाऊ व बहिन सुभद्रा के साथ सुसज्जित रथ में विराजमान होकर शहर का भ्रमण करेंगे और अपने भक्तों को दर्शन देकर हालचाल जानेंगे।
पुरैना तालाब स्थित जगदीश स्वामी मंदिर के पुजारी पंडित नर्मदा प्रसाद गर्ग ने बताया कि भगवान का बीमार होना यह सब परंपरा का हिस्सा है, जिसे पुरातन काल से निभाया जा रहा है। उड़ीसा के पुरी के जगन्नाथ स्वामी मंदिर के साथ देशभर के सभी जगन्नाथ स्वामी मंदिरों मे ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा से आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा तक भगवान जगन्नाथ स्वामी बीमार रहते हैं एवं आषाढ़ शुक्ल द्वितीया रथ दोज को भगवान अपने भाई बलभद्र बहिन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर भ्रमण के लिए निकलकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं, इसके पीछे एक कथा है।
यह है प्राचीन कथा
उन्होंने कहा कि उड़ीसा प्रांत के जगन्नाथ पुरी में माधवदास नामक भगवान के परम भक्त रहते थे। एक बार माधवदास को अतिसार का रोग हो गया। वह इतने दुर्बल हो गए कि उठ-बैठ नहीं सकते थे, पर जब तक इनसे बना तब तक ये अपना कार्य स्वयं करते थे और सेवा किसी से लेते भी नहीं थे। तब श्री जगनाथ जी स्वयं सेवक बनकर इनके पर पहुंचे और माधव दास की सेवा करने लगे। जब माधवदास जी को होश आया, तब उन्होंने तुरंत पहचान लिया की यह तो मेरे प्रभु ही हैं।
तब उन्होंने कहा, प्रभु आप तो त्रिभुवन के स्वामी हो, आप मेरी सेवा कर रहे हो, आप चाहते तो मेरा ये रोग भी तो दूर कर सकते थे, रोग दूर कर देते तो ये सब नहीं करना पड़ता। तब भगवान ने कहा कि देखो माधव मुझसे भक्तों का कष्ट नहीं सहा जाता। इसी कारण तुमारी सेवा मैंने स्वयं की। जो प्रारब्ध होता है उसे तो भोगना ही पड़ता है। अब तुम्हारे प्रारब्ध में ये 15 दिन का रोग और बचा है, इसलिए 15 दिन का रोग मुझे दे दें। तब मना करने के बाद भी भगवान ने 15 दिन का रोग स्वयं ले लिया। यही कारण है कि आज भी हर वर्ष भगवान बीमार पड़ते हैं।
शहर में दो मंदिरों से निकलती है रथयात्रा
भगवान जगनाथ स्वामी अभी बीमार हैं, लेकिन उनकी रथयात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। शहर के दो मंदिरों से भगवान की रथयात्रा निकाली जाती है। जिसमें पुरैना तालाब के पास स्थित भगवान जगदीश स्वामी मंदिर से एवं दूसरी हनुमानगढ़ी मंदिर से निकलती है। यात्रा के पूर्व रथों को नई पेंटिंग करके सजाया जा रहा है। इसके अलावा अन्य तैयारियां भी शुरू हो गई हैं।