
Damoh: दमोह जिले के जबेरा ब्लाक के घटेरा गांव में छात्रों को स्कूल जाने के लिए रेल पटरी पार करनी पड़ती हैं और यहां अंडर ब्रिज में पानी भर गया है। इसके चलते करीब 150 बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है। क्योंकि पिछले दिनों एक छात्रा पटरी पार करते समय मालगाड़ी की चपेट में आ गई थी।
दमोह जिले के जबेरा ब्लाक के घटेरा गांव में छात्रों को स्कूल जाने के लिए रेल पटरी पार करनी पड़ती हैं और यहां अंडर ब्रिज में पानी भर गया है। इसके चलते करीब 150 बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है। क्योंकि पिछले दिनों एक छात्रा पटरी पार करते समय मालगाड़ी की चपेट में आ गई थी। जिससे दहशत के कारण बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया। परिजन भी रिस्क लेना नहीं चाहते। वहीं कलेक्टर ने समस्या के समाधान के लिए रेलवे के अधिकारियों को पत्र लिखा है।
जनपद शिक्षा केंद्र जबेरा अंतर्गत आने वाले हाई स्कूल घटेरा में पढ़ने वाले 130 ओर प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले करीब 20 छात्रों ने पिछले 10 दिनों से दहशत के कारण स्कूल जाना बंद कर दिया है। क्योंकि बीते दिनों एक छात्रा की रेल पटरी पार करते समय मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई थी। अब यही रेल पटरी पार बच्चो को शिक्षा से वंचित कर रही है। जानकारी के अनुसार 15 जून की सुबह हाई स्कूल घटेरा में अध्यनरत कक्षा नोवी की छात्रा नीतू आदिवासी अपनी सहेली को किताबें वापस करने आदिवासी मोहल्ले से रेलवे लाइन पार कर दूसरे तरफ गई हुई थी।
जब वह वापस घर लौटते समय मालगाड़ी के नीचे से निकलने का प्रयास कर रही थी उसी वक्त मालगाड़ी आगे बढ़ गई और छात्रा हादसे का शिकार हुई थी। घटेरा के आदिवासी मोहल्ला के करीब 20 बच्चे जो शासकीय प्राथमिक स्कूल में अध्ययनरत है वह रेल लाइन पार करते समय कोई हादसा न हो जाये इस दहशत के कारण स्कूल नही आ रहे है। घटेरा आदिवासी मोहल्ला सहित ग्राम चंदपुरा,गडिया, कुसाईं टोला,मुहली एवं मडिया गांव के करीब 130 बच्चे भी स्कूल नहीं जा रहे। रेलवे लाइन पार कर स्कूल जाते समय कोई हादसा न हो जाए इसी दहशत में हाईस्कूल घटेरा अध्ययन करने नहीं पहुंच पा रहे हैं। जिससे बच्चों का भविष्य अंधकार की ओर जा रहा है।
रेल लाइन पार करना मजबूरी
बता दे घटेरा में रेल लाइन पार करना ही ग्रामीणों एवं छात्र छात्राओं के लिए एक मात्र विकल्प है। क्योंकि घटेरा रेलवे प्लेटफार्म पर एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म जाने के लिए फुट ओवर ब्रिज का कार्य अभी पूर्ण नहीं हुआ है। वही रेल पटरी के नीचे से आवागमन के लिए कुछ वर्षों पूर्व अंडर ब्रिज का निर्माण हुआ था। जिसका उद्देश्य था कि वाहन चालकों एवं राहगीरों के लिए पटरी पार न करना पड़े और लोगो को सहूलियत हो, लेकिन अंडर ब्रिज का निर्माण होने के बाद से ही परेशानियों का सबब बना हुआ है।
यहां अंडर ब्रिज में पानी एवं कीचड़ का भराव होने से जीव जंतुओं के होने की संभावना भी रहती है। जिसके कारण छात्र अंडरब्रिज से होकर प्राथमिक एवं हाईस्कूल आने से कतरा रहे है। शिक्षकों के अनुसार छात्रा के साथ हुए हादसे को करीब 15 दिन बीतने को है तभी से करीब 150 बच्चे स्कूल ही नही आए है।
घटेरा प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि आदिवासी मोहल्ला के करीब 20 बच्चे कक्षा पहली से पांचवीं तक की कक्षाओं में अध्यापन करते है और हादसे के बाद अब छात्र, छात्राओं के पालक अपने बच्चो को रेल पटरी पार करना नही चाहते। इसलिए अभिभावकों के द्वारा बच्चों का नाम काटने की भी बात कही जा रही है। उनका कहना है कि बच्चें पढ़े लिखे नही ये मंजूर है, लेकिन रेल लाईन क्रास करने के दौरान हादसे का शिकार हो जाए ये मंजूर नहीं है।
यह बोले प्राचार्य
हाईस्कूल घटेरा के प्रभारी प्राचार्य सुरेंद्र जैन ने बताया कि कक्षा छठवीं से कक्षा दसवीं तक करीब 200 बच्चे दर्ज हैं। जिसमें से रेलवे लाइन के दूसरी तरफ के करीब 130 बच्चे हाई स्कूल पढ़ने आते हैं। जब से छात्रा के साथ हादसा हुआ है तब से बच्चे दहशत में है। बीते 10 दिनों से रेलवे लाइन उस पार का एक भी बच्चा स्कूल नही आ रहा है।
कलेक्टर ने डीआरएम को लिखा है पत्र
कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर का कहना है घटेरा में बच्चों के स्कूल न जाने का मामला मेरे संज्ञान में आया है। मैने जबलपुर डीआरएम को पत्र भेजा है। जिसमे अंडर ब्रिज की समस्या से अवगत कराते हुए पैदल चलने योग्य सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही गई है।