
MP: दमोह जिले के तेजगढ़ वन परिक्षेत्र में 18 वर्षों से पांच हजार रुपए महीने में अपनी सेवाएं दे रहे सुरक्षा श्रमिक को एक साल से वेतन नहीं मिला है। जिससे उसकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई है। सुरक्षा श्रमिक ने विटगार्ड पर वेतन दिलाने के बदले 30 हजार रुपए की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है।
दमोह जिले के तेजगढ़ वन परिक्षेत्र में 18 वर्षों से पांच हजार रुपए महीने में अपनी सेवाएं दे रहे सुरक्षा श्रमिक को एक साल से वेतन नहीं मिला है। जिससे उसकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई है। सुरक्षा श्रमिक ने विटगार्ड पर वेतन दिलाने के बदले 30 हजार रुपए की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। इस बात की शिकायत कलेक्टर से भी की गई, लेकिन अभी तक कोई निराकरण नहीं निकला। जबकि इस कर्मचारी की पूरी संपत्ति वन विभाग के एक मामले में बिक गई है।
जेल गया और केस में बिक गई जमीनगोरखा निवासी हल्ले ठाकुर ने बताया कि वह वर्ष 2001 से वन विभाग के वन परिक्षेत्र तेजगढ़ में सुरक्षा श्रमिक के रूप में सेवाएं देता आ रहा है। सेवाओं के बदले उसे प्रतिमाह पांच हजार रुपया मासिक मिलता था जिससे वह अपना और परिवार का भरण पोषण करता था। इस बीच वन विभाग की कार्यवाई के दौरान एक आपराधिक प्रकरण पुलिस में दर्ज हुआ था। जिसमें छह माह वह बीटगार्ड के साथ जेल में रहा। छह साल केस लड़ा जिसमें वह निर्दोष साबित हुआ, लेकिन उस केस में उसकी पूरी जमीन जायजात बिक गई। सुरक्षा श्रमिक के रूप में सेवाएं दे रहा था,लेकिन पिछले एक वर्ष से उसको वेतन नही मिला। इसके लिए उसने कलेक्टर से गुहार लगाई है। क्योंकि उस थोड़ी से बेतन से उसकी तीन बेटियों और तीन बेटों के साथ पति पत्नी का भरण पोषण होता था।
बीटगार्ड मांग रहा तीस हजारहल्ले ठाकुर ने बिटगार्ड पर वेतन दिलाने के बदले 30 हजार रूपए की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। हल्ले ने बताया कि तेजगढ़ वन परिक्षेत्र कि पटी वीट में वह सुरक्षा श्रमिक के रूप में सेवाएं दे रहा था। पिछले वर्ष वहां से प्लांटेशन का तार चोरी चला गया था। अधिकारियों ने वीटगार्ड और डिप्टी रेंजर को उस समय दोषी माना था बाद में तार लग गया और मामला शांत हो गया था, लेकिन वीटगार्ड ने उस समय मुझे अलग कर दिया था फिर में दमोह वन मंडल अधिकारी के पास गया और पूरी हकीकत बताई तो उनके निर्देश पर मुझे पुनः रखा गया, लेकिन सेवाओं के दौरान मुझे एक साल से बेतन नही मिली। जिसके लिए मेने जून माह में दमोह कलेक्टर की जनसुनाई में जाकर वेतन दिलाने की मांग की थी। उसके बाद भी बेतन नही मिला। हल्ले ने आरोप लगाया कि रेंजर कह रहे हैं की यदि वीटगार्ड आपका बाउचर बना दे तो में बेतन निकाल दूंगा। वहीं जब में वीटगार्ड के पास पहुंचा तो वह बेतन निकालने के बदले तीस हजार कि मांग कर रहा है।
एक दूसरे का दे रहे हवालाहल्ले ठाकुर का कहना है वन मंडल अधिकारी के निर्देश पर मुझे एक जुलाई 2023 से पुनः पटी वीट में सुरक्षा श्रमिक के रूप में रख दिया था और उसके बाद में अपनी सेवा लगातार दे रहा हूं, लेकिन बीट गार्ड ने मुझे मासिक वेतन नहीं दी। जिसकी शिकायत मैंने तेजगढ़ रेंजर से कि तो उन्होंने मुझे सात हजार रुपया नगद दिया और कहा की बीटगार्ड जैसे ही तुम्हारा वाउचर बनाते हैं तो मेरा पैसा वापस कर देना, लेकिन आज तक मुझे वेतन नहीं मिला। सुरक्षा श्रमिक द्वारा लगाए गए आरोप को लेकर मोहरा बीट में पदस्थ वीटगार्ड ललित सुमन का कहना है सुरक्षा श्रमिकों का बेतन रेंजर द्वारा निकाला जाता है और उन्ही के निर्देश पर जुलाई से हल्ले को लगाया गया था। मेरे ऊपर लगे आरोप निराधार है क्योंकि सभी सुरक्षा श्रमिकों का वेतन रेंजर द्वारा ही निकाला जाता है और वह किस समिति से निकाल रहे हैं।