
30 जून को पहले बच्चे की मौत हुई जिसे बीमारी से मौत मान लिया, इसके बाद एक एक करके बच्चों की जान चली गई।
इंदौर के आश्रम में पांच बच्चों की मौत के मामले में आश्रम प्रबंधन के द्वारा बड़ी लापरवाही सामने आई है। मानसिक दिव्यांग युग पुरुष धाम में 30 जून को पहले बच्चे की मौत हुई। संस्था ने मान लिया कि मिर्गी के दौरे की वजह से बच्चे की जान गई है। इसके बाद 24 घंटे में एक के बाद एक दो मौतें हो गईं। इन दोनों बच्चों की मौत पर भी आश्रम बहुत सारी जानकारियां छुपाता रहा। मौत की जानकारी छिपाने का खामियाजा यह निकला कि 48 घंटे के अंदर ही दो और बच्चों की जान चली गई।
कलेक्टर ने कहा संस्था की गलती से हालात गंभीर हुए
कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा है कि अगर संस्था पहले बच्चे की मौत के बाद ही जानकारी दे देती तो इतने गंभीर हालात नहीं बनते। कलेक्टर ने जांच के लिए टीम बनाई है। इसमें अधिकारियों के साथ डाक्टरों को भी शामिल किया गया है।
बच्चों को स्वस्थ बताया, एक एक करके जान जाती रही
आश्रम संचालकों की लापरवाही यहीं पर नहीं रुकी। 2 जुलाई मंगलवार को सुबह जब मामले की जानकारी मिली तो आश्रम संचालक बच्चों को स्वस्थ बताते रहे। जांच के लिए पहुंचे सरकारी अधिकारी भी आश्रम में हंसी ठिठौली करते रहे। संचालिका अनिता शर्मा और एसडीएम बड़कुल के हंसी मजाक करते हुए कई फोटो और वीडियो भी वायरल हुए। इसके बाद मंगलवार शाम तक एक एक करके पांच बच्चों ने दम तोड़ दिया। 34 बच्चों का अस्पताल में इलाज जारी है। चाचा नेहरू अस्पताल के डॉक्टर का कहना है कि सभी बच्चों की हालत ठीक है।
इन पांच बच्चों की मौत हुई है
शुभम उर्फ करण, आकाश, शुभ, रानी हिमानी और छोटा गोविंद। रविवार को शुभम उर्फ करण ने दम तोड़ा, उसे फिट की बीमारी थी। सोमवार देर रात आकाश और मंगलवार सुबह शुभ की मौत हो गई। इन सभी की उम्र 5 से 13 साल के बीच है। यह भी जानकारी मिली है कि आश्रम में केयर टेकर और नर्स की संख्या भी बच्चों के हिसाब से कम है। बीमार बच्चों को एंबुलेंस तक ले जाने के लिए भी अन्य दिव्यांग बच्चों का ही सहारा लेना पड़ा।
दान से बना अस्पताल, सरकार भेजती थी बच्चे
पंचकुईया रोड पर परमानंद हॉस्पिटल परिसर में ही छोटी बिल्डिंग में ‘युग पुरुष आश्रम का संचालन होता है। नजदीकी लोगों के मुताबिक कुछ साल पहले यह जमीन किसी महिला ने दान में दी थी। इसके बाद परमानंद गिरी महाराज द्वारा यहां हॉस्पिटल खोलने के लिए जिम्मेदारी तुलसी शादीजा (इंदौर) को दी। 2002 में यहां परमानंद हॉस्पिटल शुरू किया। परिसर में लगे पोस्टर में अध्यक्ष पवन ठाकुर और संचालक जीडी नागर का फोटो है। जीडी नागर से बात की तो उन्होंने बताया कि सेहत ठीक नहीं होने से मैंने डेढ़ साल पहले से ही हॉस्पिटल जाना बंद कर दिया है। ‘युग पुरुष’ संस्था की अध्यक्ष अनिता शर्मा और सचिव तुलसी शादीजा है। संस्था द्वारा यहां 2006 से संचालन किया जा रहा है। संस्था को सरकार से अनुदान भी मिलता है। शादीजा और उनके परिवार के लोग अस्पताल का संचालन करते है। घटना को लेकर ‘युग पुरुष’ के सचिव तुलसी शादीजा का कहना है कि मुझे कोई जानकारी नहीं है। बेहतर है कि आप अध्यक्ष अनीता शर्मा से बात करें। सरकार को महिला बाल विकास और बाल कल्याण समिति की तरफ से जो बच्चे दिए जाते थे उन्हें भी संस्था ही रखती थी। इसमें अधिकतर वे बच्चे हैं जो अनाथ हैं या जिनके माता पिता ने उन्हें छोड़ दिया है।