
रामनिवास रावत गुरुवार सुबह महाकाल के दर्शन करने उज्जैन पहुंचे। वन मंत्री बनाए जाने के बाद पहली बार वे महाकाल के दरबार में आए हैं। चांदी द्वार से दर्शन कर नंदी हॉल में ध्यान लगाया।
मध्यप्रदेश के नए वन एवं पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत पद संभालने के बाद बाबा महाकाल के दरबार में पहुंचे, जहां उन्होंने चांदी द्वार से बाबा महाकाल का पूजन अर्चन अभिषेक कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
बाबा महाकाल के दर्शन के बाद रावत नंदी हॉल पहुंचे, जहां उन्होंने शिव भक्ति में ध्यान लगाया और नंदी जी के कानों में अपनी मनोकामना भी कही। दर्शन के बाद उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री मोहन यादव के एक पेड़ मां के नाम अभियान को सफल बनाकर मध्यप्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के कार्य पर विशेष ध्यान देंगे एवं मध्यप्रदेश को वन अच्छादित प्रदेश बनाएंगे।
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं रामनिवास रावतयाद रहे कि अभी तक वन एवं पर्यावरण विभाग नागर सिंह चौहान संभाल रहे थे। रामनिवास रावत को मंत्री बनने के 13 दिन बाद रविवार को विभाग का आवंटन कर दिया गया। इसमें वन एवं पर्यावरण विभाग रामनिवास रावत को दिया गया है। रामनिवास उन मंत्रियों के लिस्ट में आते हैं जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं।
6 बार विधायक रह चुके हैं रावत
रामनिवास रावत श्योपुर जिले के विजयपुर से छह बार विधायक रह चुके हैं। बीते 30 अप्रैल को लोकसभा के चुनावी प्रचार के दौरान सत्तारूढ़ दल भाजपा में शामिल होने से घबरा रहे थे। मगर फिर बाद में उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ले ली। रावत चंबल में मीणा रावत समाज के बड़े नेता माने जाते हैं और पूर्व में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। कांग्रेस विधायक के रूप में इस्तीफा देने के बाद अब विजयपुर सीट खाली हो गई है और विजयपुर सीट पर छह महीने के भीतर उपचुनाव होना है।
8 जुलाई को ली थी शपथ अब बन गए कैबिनेट मंत्री
रावत ने 8 जुलाई 2024 को जुलाई को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी। शपथ ग्रहण के 14 दिन बाद रविवार जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि रावत को वन और पर्यावरण विभाग आवंटित किया गया है। सीएम मोहन यादव ने नवनियुक्त कैबिनेट मंत्री रामनिवास रावत को वन और पर्यावरण विभाग दिया है।
यह है भाजपा में आने का कारण
कांग्रेस पार्टी की दिग्विजय सरकार में रामनिवास रावत मंत्री पद संभाल चुके हैं। इसके अलावा वह पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह के खिलाफ सासंद का चुनाव भी लड़ चुके हैं। कांग्रेस कमेटी के कार्यकाही अध्यक्ष रहे रावत कांग्रेस से तब नाराज हुए जब इतने अनुभव के बाद भी उन्हें विधानसभा में विपक्ष का नेता नहीं बनाया गया।