
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर में अतिथि शिक्षक के रूप में कार्यरत डॉ. ज्योति चौबे की तरफ से दायर विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षकों के बीच भेदभाव करने का आदेश लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
जबलपुर हाईकोर्ट जस्टिस विवेक जैन ने अपने अहम आदेश में कहा है कि शासकीय महाविद्यालय में नियमित भर्ती के लिए विश्वविद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षक को आयु सीमा में छूट का लाभ के अधिकारी नहीं हैं। सरकार द्वारा आयु सीमा की छूट सिर्फ महाविद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को प्रदान की गई है। विश्वविद्यालय नियुक्ति के लिए अपने मापदंड तथा नियम स्वयं निर्धारित करते हैं।
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर में अतिथि शिक्षक के रूप में कार्यरत डॉ. ज्योति चौबे की तरफ से दायर विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षकों के बीच भेदभाव करने का आदेश लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि महाविद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को आयु सीमा में दस साल की छूट प्रदान की जा रही है। विश्वविद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है।
पीएससी की तरफ से एकलपीठ को बताया गया कि अधिकतम आयु सीमा 48 वर्ष निर्धारित की गई है। याचिकाकर्ता की आयु 48 वर्ष से अधिक है। सिर्फ महाविद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को दस साल की छूट प्रदान की गई है। याचिकाकर्ता विश्वविद्यालय में कार्यरत है, इसलिए वह आयु सीमा में छूट पाने की अधिकारी नहीं है।
विश्वविद्यालय चयन के लिए मापदंडों व नियमों का निर्धारण स्वंय करता है। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि नियमित नियुक्तियां महाविद्यालय में होना है। याचिकाकर्ता विश्वविद्यालय की अतिथि शिक्षक है, इसलिए वह आयु सीमा में छूट पाने की अधिकारी नहीं है।