
जिले का अंतोरा गांव जो कभी शराबखोरी, झगड़ा और पत्नियों के मायके चले जाने को लेकर जिले में ही नहीं बुंदेलखंड में चर्चित था, आखिरकार इस गांव की पंचायत ने सर्व सम्मति से शराब पर प्रतिबंध लगाने के लिए कड़े निर्णय लिए और उन निर्णय का आज यह असर है कि अब यह गांव शराब मुक्त हो गया है। टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर बड़ा गांव ब्लॉक के अंतर्गत आता है अंतोरा गांव, जहां पिछले कई सालों से लोगों द्वारा शराब बेचने और शराब पीने की परंपरा चली आ रही थी। जिसके चलते कई परिवार टूट गए थे और कई लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। हद तो तब हो गई जब प्रतिदिन गांव में झगड़ा और विवाद होता था। इस सबसे परेशान होकर के आखिरकार गांव में एक पंचायत करने का फैसला लिया, जिसमें सभी समाज के लोग शामिल हुए। सर्व समाज में निर्णय लिया कि जो भी ग्राम पंचायत के अंदर शराब पीएगा या बेचेगा उस पर पंचायत जुर्माना लगाएगी और इस जुर्माने से जो पैसा पंचायत को मिलेगा उसमें गांव का विकास किया जाएगा। यह पंचायत आज से करीब दो माह पूर्व गांव में बुलाई गई थी। अब इस फैसले का इतना स्वागत हुआ है कि यह गांव अब शराब मुक्त हो गया है और पिछले 2 माह से ना तो कोई गांव में शराब पीता है और ना ही शराब बेचता है। जिस कारण से अब महिलाएं भी सुखी है और उनके चेहरे पर मुस्कान लौट आई है।
पंचायत ने जुर्माने का लिया था फैसला
शराब से परेशान होकर के ग्राम पंचायत में आज से 2 माह पूर्व सर्वजातीय समाज की पंचायत बुलाई गई थी, जिसमें निर्णय लिया गया था कि अगर कोई गांव में शराब बचेगा तो उसको 21000 का जुर्माना देना होगा और जो पीकर गांव में आएगा उसको 11000 का जुर्माना देना होगा। इस फैसले का इतना असर हुआ कि आज यह गांव टीकमगढ़ जिले में ही नहीं, बल्कि बुंदेलखंड में शराब मुक्त हो चुका है।
क्यों बुलाई गई पंचायत
अंतोरा गांव में शराब की लगातार घटनाएं बढ़ रही थी। गांव की रहने वाली अंगूरी बाई ने बताया कि शराब की इतनी घटनाएं हो गई थी कि कई परिवारों की पत्नियों अपने पति और बच्चों को छोड़कर के अपने मायके में रहने लगी थी। जिस कारण से कई परिवार टूट गए थे। इस कारण गांव के लोग भी परेशान थे और परिवार में झगड़ा और महिलाओं के साथ मारपीट की घटनाएं लगातार बढ़ रही थी। गांव के रहने वाली आलोक यादव ने बताया कि लगातार घटनाएं होने के कारण कई लोगों ने फांसी लगाकर के आत्महत्या कर ली थी। शराब के नशे में जिसके चलते उनके परिवार भी बेघर हो गए थे। जब गांव में लगातार अपराध बढ़ने लगे और पत्निया मायके जाने लगी तो सर्व समाज में पंचायत बुलाने का निर्णय लिया।