
श्रावण माह के अंतिम सोमवार को भगवान महाकालेश्वर की सवारी पूरे प्रोटोकाल और धूमधाम से निकलेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी सवारी में शामिल होंगे। इस वर्ष श्रावण के माह में अब तक निकली भगवान महाकालेश्वर की सवारी का आकर्षण कुछ अलग ही रहा है।
श्रावण माह के अंतिम सोमवार को भगवान महाकालेश्वर की सवारी पूरे प्रोटोकाल और धूमधाम से निकलेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी सवारी में शामिल होंगे। इस वर्ष श्रावण के माह में अब तक निकली भगवान महाकालेश्वर की सवारी का आकर्षण कुछ अलग ही रहा है। हर सवारी अपने आप में अनूठी रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सवारी की वैभवता को बढ़ाने में अनूठे प्रयोग किये, जिससे न केवल प्रदेश के अपितु देश-विदेश से आये श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
श्रावण माह के अंतिम सवारी की प्रमुख बात यह है, इसमें सीआरपीएफ और आर्मी का बैण्ड शामिल होगा। इसी दिन प्रमुख हिन्दू त्योहार रक्षाबंधन भी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय भी सोमवार को भगवान महाकालेश्वर के दर्शन करने आ रहे हैं। डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद भगवान महाकालेश्वर की सवारी का वैभव और बढ़ा है। पहले भव्य पुलिस बैंड की आकर्षक प्रस्तुति और उसके बाद एक साथ डमरू वादन का विश्व रिकॉर्ड बनना अपने आप में अनूठी पहल है। सवारी की भव्यता को बढ़ाने के लिये पहली बार जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न अंचलों से आये जनजातीय समूहों के नृत्य भी इस बार सावन की सवारियों का हिस्सा बने हैं, जिससे न केवल सवारी की भव्यता बल्कि उसका आकर्षण भी बढ़ा है। इनकी प्रस्तुति ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। सवारी में भगवान महाकाल के सुगम दर्शन के लिये पहली बार चलित रथ भी निकले, जिन पर लगी बड़ी स्क्रीन से श्रद्धालुओं ने दर्शन किये।
गोण्ड जनजातीय करमा/सैला नृत्य दल सवारी में होगा शामिल
श्री महाकालेश्वर भगवान की पांचवी सोमवार की सवारी में भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की मंशानुरूप जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से भगवान श्री महाकालेश्वर जी की सवारी में जनजातीय कलाकारों का दल भी सहभागिता करेगा। 19 अगस्त को गोण्ड जनजातीय करमा/ सैला नृत्य दल श्री प्रताप सिंह दूर्वे के नेतृत्व में श्री महाकालेश्वर भगवान की पांचवी सवारी में पालकी के आगे भजन मंडलियों के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए चलेगा।
आदिवासी गोण्ड जनजाति का सैला करमा नृत्य कर्म की प्रेरणा देना वाला नृत्य है। दल के प्रमुख श्री प्रताप सिंह धुर्वे ने बताया कि आदिवासी गोड़ जनजाति का मैला करमा नृत्य कर्म की प्रेरणा देने वाला नृत्य है। ग्रामवासियो में श्रम का महत्व है, श्रम को ही कर्मदेवता के रूप में मानते है। पूर्वी मध्यप्रदेश में कर्मपूजा का उत्सव मनाया जाता है। उसमें करमा नृत्य किया जाता है। इस नृत्य में युवक-युवतियाँ दोनों भाग लेते है और उनके बीच गीत रचना होड़ लग जाती है। यह नृत्य जीवन की व्यापक गतिविधियों के बीच विकसित होता है। यही कारण है कि करमा गीतों मे स्थिति के बहुत विविधता है। उसमे रोजमर्रा की जीवन शैली के साथ प्रेम का गहरा सूक्ष्म भाव भी अभिव्यक्त होता है।