
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने निर्धारित अवधि खत्म होने के बाद संविदा कर्मचारियों को हटाने को उचित माना है। साथ ही किसी कर्मचारी को अवधि खत्म होने के बाद हटाने को प्राकृतिक न्याय सिद्धांत का उल्लंघन मानने से भी इनकार कर दिया।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने निर्धारित अवधि खत्म होने के बाद संविदा कर्मचारी को हटाने को उचित माना है। इसे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन मानने से इनकार कर दिया। इस तरह हाईकोर्ट में राज्य सरकार की जीत हुई है।
मध्य प्रदेश सरकार की अपील पर हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने आदेश में कहा कि संविदा कर्मचारी को निर्धारित अवधि के बाद हटाना प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन नहीं है। यदि आदेश कलंकपूर्ण या दंडात्मक नहीं है, तो संविदा कर्मचारी सेवा समाप्ति के खिलाफ सुरक्षा का दावा नहीं कर सकते हैं। राज्य सरकार की अपील में बताया गया था कि सामान्य प्रशासन और वित्त विभाग ने प्रदेश में डाटा एंट्री के 50 पदों के लिए दो साल की संविदा नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। याचिकाकर्ताओं ने आवेदन किया और सफल हुए। 2011 में 50 पदों पर संविदा नियुक्ति प्रदान की गई थी। 2013 में सभी कर्मचारियों की संविदा अवधि दो साल तक बढ़ा दी गई थी, लेकिन 2016 में केवल 21 कर्मचारियों की सेवा अवधि बढ़ाने का आदेश जारी किया गया था।