
भले ही सरकार गांव गांव तक पहुँच मार्ग बनवाने का दावा कर रही है। लेकिन पन्ना जिले में आज भी कुछ ऐसे गांव है जहां के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। मामला पन्ना जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत कुड़ार के गांव कोतवालीपुर और मजरा कर्रीपुरा का है।
दोनों बस्तियों में आज तक प्रशासन सड़क मार्ग नहीं बनवा सका है। जिससे ग्रामीण खेतों की मेड़ों से आवागमन करने को मजबूर है। गांव में किसी के बीमार हो जाने से खटिया का सहारा लेना पड़ता है और चार कंधों के सहारे सफर तय करना होता है। उसके बाद वाहन की व्यवस्था होती है।
दरअसल पन्ना जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर स्तिथ ग्रामपंचायत कुड़ार के गांव कोतवालीपुर और मजरा करीपुरा में करीब 200 लोग निवास करते है। लेकिन गांव के एक तरफ पीटीआर और दूसरे तरफ निजी खेत होने के कारण गांव वालों को आज उन तक सड़क मार्ग नसीब नहीं हो सका है। जिससे ग्रामीणों को बड़ी परेशानियों का सामना करना होता है। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है तो वहीं गांव में किसी के बीमार हो जाने से उसे समय पर अस्पताल नही पहुँचाया जा सकता।
ऐसे में गांव के लोग एकजुट होकर चार पाई यानी खटिया पर लिटाकर गांव से मुख्य मार्ग तक पहुँचाते हैं। गाँव की निवासी मीरा बाई बंशकार ने बताया कि गांव के लिए कोई रास्ता नहीं है। खेतों की मेड़ से आना जाना पड़ता है। बरसात के दिनों में खेतों में फसलों की सुरक्षा हेतु बाड़ लग जाने एवं कीचड़ की वजह से आवागमन में कठिनाइयां बढ़ जाती हैं।
बीमार व्यक्ति या गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए खाट का सहारा लेना पड़ता है। क्योंकि यहां एम्बुलेंस, जननी एक्सप्रेस या डायल 100 जैसे इमरजेंसी वाहन पहुंचना मुश्किल हो जाता है। बरसात में बीमार होने पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने से यहां के कई लोगों की मौत भी हो चुकी है।