
भ्रष्टाचार का गढ़ बना जिला पंचायत दमोह अब मंत्रालय से प्राप्त आदेशों की भी अनदेखी कर रहा है। भ्रष्टाचार के दलदल में गले तक धंसे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी मनमानी कार्य प्रणाली के चलते हमेशा ही सुर्खियों में रहे हैं। जिला पंचायत से गुणवताहीन निर्माण कार्य, कमीशनबाजी और अबैध पेटी ठेकदारों को खुला संरक्षण प्राप्त है। भ्रष्टाचार का यह खेल तब चल रहा है जब पूर्व दमोह सांसद प्रहलाद पटेल अब मध्यप्रदेश शासन में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री हैं और जिनका लगातार दौरा दमोह जिले में होता रहता है। लापरवाही और वरिष्ठ कार्यालय के आदेशों की अनदेखी की सारी हदें पार करते हुए जिला पंचायत दमोह ने मंत्रालय से प्राप्त आदेशों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय का आदेश सात दिन से जिला पंचायत में उला धूल खा रहा है।पूर्व में संविदा पर थे याचिकाकर्ताःउच्च न्यायालय के जिस आदेश के पालन में पूर्व कलेक्टर दमोह के नियुक्ति आदेशों को निरस्त किया गया था उसके याचिका कर्ता संतोष कुमार अहिरवाल, भूपेंद्र असाटी एवम हरवंश चौबे जिला पंचायत की डीआरडीए एवं मनरेगा शाखा कंप्यूटर ऑपरेटर पद पर संविदा कर्मचारी थे। तत्कालीन कलेक्टर श्रीनिवास शर्मा के उपरोक्त संविदा कर्मियों को स्थाई किए जाने के आदेश उपरांत तीनो संविदा कर्मचारियों ने संविदा पद कंप्यूटर ऑपरेटर पद से इस्तीफा दे दिया था। तीनों संविदा कर्मियों की नियम विरुद्ध नियुक्ति को अवैधानिक मानते हुए अपर मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आदेश क्रमांक 4875-4876/22/वि-2/ स्था/18 दिनांक 28.04.2018 द्वारा उक्त नियमितीकरण के आदेशों को निरस्त किया गया था। अपर मुख्य सचिव के आदेश के विरुद्ध याचिकाकर्ताओं ने सुनवाई का अवसर प्रदान न किए जाने का कारण बताते हुए उच्ब न्यायालय में बाद दायर किया था जिसमें उच्च न्यायालय ने याचिका कर्ताओं को सुनवाई का प्रदान करते हुए कार्यवाही करने के आदेश पारित किए थे। सुनवाई उपरांत पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पूर्व कलेक्टर श्रीनिवास शर्मा के नियुक्ति आदेश को नियम विरुद्ध एवम अवैध मानते हुए निरस्त कर दिया गया है।पूर्व कलेक्टर के नियमविरुद्ध नियुक्ति आदेशों को किया निरस्तदरअसल उच्च न्यायालय अपने निर्णय 8 जनवरी 2020 में निर्णय दिया गया था की रिट पिटिशन क्रमांक 1086/2018, 10870/2018, 10873/2018 के वादीगणों को सुनवाई का अवसर प्रदान कर कार्यवाही की जाए। कोर्ट के आदेश के परिपालन में वादीगणों को 19 मई 2023 को सुना गया। पानी उच्य न्यायालय के आदेश के तीन साल से अधिक समय व्यतीत होने के बाद। सुनवाई के दौरान वादिगणो द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन के पश्चात मप्र समान्य प्रशासन विभाग ने पाया की वादिगणों की नियुक्तियों अवैध एवं नियम विरुद्ध तरीके से तत्कालीन कलेक्टर दमोह द्वारा की गई थी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय के आदेश दिनांक 30 अगस्त 2024 में तत्कालीन कलेक्टर श्रीनिवास शर्मा द्वरा जारी नियुक्ति आदेश 8 फरवरी 2018 कोनिरस्त कर दिया गया है।