
इसमें स्टेशन परिसर के दो किमी एरिया में अलग-अलग 10 गुमटियां बनाई गई थीं। जहां पर अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। वहीं से पूरा काम ऑपरेटर किया। क्योंकि काम होने के साथ-साथ माल गाड़ियों के साथ यात्री ट्रेनों को भी निकालने का काम काफी जोखिम भरा था। इसलिए इन प्रत्येक गुमटी में एक छोटा कंट्रोल रूम संचालित किया गया। अब सीआरएस के निरीक्षण के बाद संभवतः अगले माह से इस लाइन को चालू कर दिया जाएगा। इसके चालू होने से सागर जाने के लिए एक ही समय में दो-दो गाड़ियां यहां से निकल सकेंगी। इसका सबसे ज्यादा लाभ माल-गाड़ियों को मिलेगा। साथ ही यात्री ट्रेनों को भी नहीं रोकना पड़ेगा।
तीन दिन बाद शुरू हो जाएगा नया कंट्रोल रूम
सिग्नल का काम कंपलीट होने के बाद 13 सितंबर को रेलवे का कंट्रोल रूम नए भवन में पहुंच जाएगा। जहां पर आधुनिक डिजिटल मशीनों से ट्रेनों के परिचालन शुरू हो जाएगा। जिसमें एक बड़ी स्क्रीन पर स्टेशन पर खड़ी ट्रेनों की जानकारी दिखेगी। कौन सी ट्रेन को किस लाइन से ले जाना है और सिग्नल देना है, यह काम अब केवल सहायक स्टेशन मास्टर केवल एक क्लिक दबाकर कर सकेंगे। अभी तक यह काम मैन्युअली किया जा रहा था।
एक ही समय में रवाना हो सकेंगी दो-दो ट्रेनें
स्टेशन प्रबंधक मुकेश कुमार जैन ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर चल रहे एनआई वर्क का काम अंतिम दौर में है। अब 13 सितंबर तक सिग्नल का काम होना है। तीसरी लाइन को प्लेटफॉर्म नंबर एक से लिंक किया जा चुका है। सीआरएस के निरीक्षण के बाद यह चालू हो जाएगी। जिससे एक ही समय में दो-दो ट्रेन रवाना हो सकेंगी।
स्टेशन प्रबंधक मुकेश कुमार जैन ने बताया कि एनआई वर्क का काम अंतिम दौर में है। अब 13 सितंबर तक सिग्नल का काम होना है। तीसरी लाइन को प्लेटफॉर्म नंबर एक से लिंक किया जा चुका है। सीआरएस के निरीक्षण के बाद यह चालू हो जाएगी।
दमोह रेलवे स्टेशन पर 26 अगस्त से चल रहे नान इंटरलाकिंग का काम अंतिम दौर में चल रहा है। यार्ड इंजीनियरिंग वर्क कंपलीट हो गया है। तीसरी रेल लाइन को प्लेटफार्म क्रमांक एक से भी जोड़ दिया गया है। मंगलवार से सिग्नल का काम शुरू हुआ है जो 13 सितंबर तक होगा। आने वाले समय में एक साथ दो यात्री ट्रेन रवाना हो सकेंगी। पूरे परिसर में लगे सिग्नल को नए लाइनों के हिसाब से कनेक्शन कर उन्हें मेन कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा।
बता दें कि एनआई वर्क के दौरान रोजाना 500 से अधिक मजदूरों के अलावा रेलवे के 50 से अधिक इंजीनियर्स की टीम इस काम में जुटी हुई है। इस दौरान स्टेशन परिसर के दो किमी लंबे रेलवे यार्ड में काफी बदलाव हुआ है। तीसरी लाइन को प्लेटफॉर्म नंबर एक की मेन लाइन से लिंक किया गया है। इस दौरान पुरानी पटरियों व स्लीपर को हटाकर नए स्लीपर लगाए गए। साथ ही एक लाइन को दूसरे लाइन से कनेक्शन किया गया। खास बात यह है कि पूरा काम मैन्युअली किया गया।
इसमें स्टेशन परिसर के दो किमी एरिया में अलग-अलग 10 गुमटियां बनाई गई थीं। जहां पर अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। वहीं से पूरा काम ऑपरेटर किया। क्योंकि काम होने के साथ-साथ माल गाड़ियों के साथ यात्री ट्रेनों को भी निकालने का काम काफी जोखिम भरा था। इसलिए इन प्रत्येक गुमटी में एक छोटा कंट्रोल रूम संचालित किया गया। अब सीआरएस के निरीक्षण के बाद संभवतः अगले माह से इस लाइन को चालू कर दिया जाएगा। इसके चालू होने से सागर जाने के लिए एक ही समय में दो-दो गाड़ियां यहां से निकल सकेंगी। इसका सबसे ज्यादा लाभ माल-गाड़ियों को मिलेगा। साथ ही यात्री ट्रेनों को भी नहीं रोकना पड़ेगा।
तीन दिन बाद शुरू हो जाएगा नया कंट्रोल रूम
सिग्नल का काम कंपलीट होने के बाद 13 सितंबर को रेलवे का कंट्रोल रूम नए भवन में पहुंच जाएगा। जहां पर आधुनिक डिजिटल मशीनों से ट्रेनों के परिचालन शुरू हो जाएगा। जिसमें एक बड़ी स्क्रीन पर स्टेशन पर खड़ी ट्रेनों की जानकारी दिखेगी। कौन सी ट्रेन को किस लाइन से ले जाना है और सिग्नल देना है, यह काम अब केवल सहायक स्टेशन मास्टर केवल एक क्लिक दबाकर कर सकेंगे। अभी तक यह काम मैन्युअली किया जा रहा था।
एक ही समय में रवाना हो सकेंगी दो-दो ट्रेनें
स्टेशन प्रबंधक मुकेश कुमार जैन ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर चल रहे एनआई वर्क का काम अंतिम दौर में है। अब 13 सितंबर तक सिग्नल का काम होना है। तीसरी लाइन को प्लेटफॉर्म नंबर एक से लिंक किया जा चुका है। सीआरएस के निरीक्षण के बाद यह चालू हो जाएगी। जिससे एक ही समय में दो-दो ट्रेन रवाना हो सकेंगी।