
पूरे मामले की जांच कर रहे तहसीलदार प्रेम नारायण सिंह का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में आया है। 20 आदिवासियों ने सामूहिक आवेदन में उनके पट्टे की जमीन पर कब्जा करने की बात कही है।
सागर जिले में मालथौन नगर के वार्ड 10 में रहने वाले 20 आदिवासी परिवारों की पट्टे की जमीन को रुपयों का लालच देकर जबरन कब्जा करने का मामला सामने आया है। पीड़ित परिवारों ने तहसीलदार मालथौन के नाम सामूहिक आवेदन देकर रानू सिंघई पिता गोकुलचंद्र जैन निवासी मालथौन पर बहला फुसलाकर शराब पिलाकर उनकी जमीन पर कब्जा करने के आरोप लगाते हुए न्याय की मांग की है।
पीड़ित परिवारों ने बताया कि रानू सिघईं बीते 10 साल से उनकी जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहा है। सभी की खेतिहर जमीनों की भू-अधिकार पुस्तिका भी अपने पास रख बेचने का भी प्रयास कर चुका है। आवेदन में पीड़ितों ने उल्लेख किया है कि रानू सिंघई ने कुछ जमीन गैर आदिवासी लोगों को ठेके पर देकर मोटी कमाई कर ली है। जमीन वापस मांगने पर गाली-गलौज करता है।10-10 हजार रुपये देकर कृषि भूमि पर जबरन कब्जा कर लिया है। रुपयों की कमी के चलते उन्होंने एक साल के लिए ठेके पर अपने पट्टे की भूमि रखी थी। लेकिन उसके बाद से कब्जाधारी उनकी जमीन नहीं छोड़ रहा है।
फर्जी तरीके से स्टांप पेपर पर नकली अंगूठा के निशान बनाकर ठेका नामा तैयार कर लिए हैं। अब पीड़ित न्याय के लिए तहसील में भटक रहे हैं। पीड़ित परिवारों के हितों को ध्यान में रखकर मामले की गंभीरता को देखते हुए तहसीलदार प्रेम नारायण सिंह ने कलेक्टर सागर को पत्र जारी करके उक्त भूमि को बेचे जाने से रोकने एवं कब्जाधारी रानू सिंघई के खिलाफ अपराध दर्ज करने की अपील की है। अपने आप को भाजपा का नेता बताकर गरीब आदिवासियों को डरा धमकाकर उनकी जमीन पर कब्जा किया है। पूरे नगर में बड़े-बड़े होर्डिंग भी कब्जाधारी द्वारा लगाए गए हैं।
इन आदिवासियों की जमीन पर है कब्जा
फूलाबाई पति दुर्जन आदिवासी खसरा नंबर 389 रकबा 1.130, दौलत पिता दरौआ आदिवासी खसरा नंबर 421 रकबा 0.9600, भगवानदास रमेश पिता परखू आदिवासी खसरा नंबर 423 रकबा 1.2300 है। मनु पिता नंदलाल आदिवासी खसरा नंबर 438 रकबा 0.9900 है। प्राण सिंह खेमचंद ऊषा पिता कलन आदिवासी खसरा नंबर 425 रकबा 2.020, श्रीबाई द्रोपतीबाई पिता दिलीप आदिवासी खसरा नंबर 432 रकबा 1.3200, मंझली बहु बेबा हरचंदी खसरा नंबर 427 रकबा 2.010 सोनी पिता काशीराम आदिवासी खसरा नंबर 441 रकबा 1.3100 है। गौरीबाई पुत्री कल्ले आदिवासी खसरा नंबर 442 रकबा 1.0500 है। हीरा पिता कमल आदिवासी खसरा नंबर 443 रकबा 1.2000 मानक पिता कम्मोद आदिवासी खसरा नंबर 448 रकबा 0.9000 है।
बल्लू कस्तूरी मोने पिता सुखन आदिवासी खसरा नंबर 447 रकबा 0.9200 नीलेश पिता नत्थू आदिवासी खसरा नंबर 454 रकबा 1.0000 है। लखन पिता ज्ञाप्रसाद आदिवासी खसरा नंबर 450 रकबा 1.4300 फूलाबाई पत्नी दुर्जन आदिवासी खसरा नंबर 468 रकबा 0.9000 है। सुरजबाई पिता रघु आदिवासी खसरा नंबर रकबा 2.0100 है। राजाराम पिता सीताराम आदिवासी खसरा नंबर 479 रकबा 1.5900 नीलेश पिता नत्थू आदिवासी खसरा नंबर 454 रकबा 1.000 है। हल्की बेवा पुनवा आदिवासी खसरा नंबर 455 रकबा 0.5400 लखी पिता लल्ली आदिवासी खसरा नंबर 489 रकबा 0.8900 है। कुल 27.570 हेक्टेयर कृषि भूमि पर कब्जा करने के आरोप लगे हैं। पूरे मामले में रानू सिंघई का कहना है कि उसने सबकी जमीन ठेके पर ले रखी है, जिसका ठेकेनामा उसके पास है।
वहीं, पूरे मामले की जांच कर रहे तहसीलदार प्रेम नारायण सिंह का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में आया है। 20 आदिवासियों ने सामूहिक आवेदन में उनके पट्टे की जमीन पर कब्जा करने की बात कही है। सभी के कथन करा लिए गए हैं। जमीनों पर कब्जे की बात स्वीकार की है। पटवारी रिपोर्ट में रानू सिंघई का कब्जा पाया गया है। कलेक्टर सागर के पास जानकारी भेजी गई है।