
दमोह के मडियादो गांव में एक निजी न्यू आइडियल कॉन्वेंट स्कूल के एक शिक्षक ने कक्षा आठवीं में पढ़ने वाले छात्र के बाल काट दिए। शिक्षक ने ऐसा स्कूल के अन्य शिक्षक और छात्रों के बीच किया, जिससे छात्र काफी दुखी है और डिप्रेशन में है। उसने खाना पीना भी छोड़ दिया है और अब वो स्कूल नहीं जाना चाहता है। मामला शनिवार का है।
छात्र ने बताया कि स्कूल में पदस्थ गोकुल सर दोपहर 12 बजे क्लास में आए और मुझसे कहा कि तुम्हारे बाल बड़े हैं। इसके बाद उन्होंने ऑफिस से कैंची मंगवाकर मेरे बाल काट दिए। मैंने उन्हें काफी निवेदन किया। यह भी कहा कि मैं दुकान से बाल कटवा लूंगा लेकिन वो नहीं माने।
छात्र का यह भी आरोप है कि शिक्षक ने बाल काटने के दौरान उसका एक वीडियो भी बनाया और छात्र को यह धमकी भी दी है कि उसका यह वीडियो वह सोशल मीडिया पर वायरल कर उसे बदनाम करेंगे। छात्र का कहना है कि जिस समय उसके बाल काटे जा रहे थे पूरी क्लास के छात्र उस पर हंस रहे थे। अब वह इस शर्मिंदगी से उबर नहीं पा रहा।
अब स्कूल नहीं जाना चाहता भतीजा
छात्र के चाचा ने बताया कि शनिवार शाम भतीजे ने घर आकर बताया कि शिक्षक ने उसके बाल काट दिए और इस तरह से अपमानित किया है। मैंने जब स्कूल के संचालक से इसकी शिकायत की तो उन्होंने कहा कि मैं शिक्षक को समझा दूंगा हालांकि छात्र के चाचा का यह भी कहना है कि भतीजे ने खाना पीना काफी कम कर दिया है और वह स्कूल नहीं जाना चाहता। चाचा ने तो यह तक कहा है कि भतीजा कह रहा है कि वह आत्महत्या कर लेगा। हालांकि उसे आज पड़ोस के लोग समझा रहे हैं। अभी तक इस मामले में पुलिस में कोई शिकायत नहीं की गई है, लेकिन परिजन कह रहे हैं कि वह शिक्षक के खिलाफ पुलिस में भी शिकायत करेंगे।
चाचा का कहना है कि भतीजे के पिता यानी मेरे भाई की मौत करीब 8 साल पहले हो चुकी है। उसका भरण पोषण मैं ही करता हूं। मैं चाहता हूं कि मेरा भतीजा पढ़ लिखकर कुछ अच्छा करें, इसलिए मैं उसे निजी स्कूल में पढ़ा रहा हूं। स्कूल से घर आने के बाद मेरा भतीजा एक बाइक सुधारने की दुकान पर जाकर काम करता है, जिससे उसका खर्च निकलता है।
स्कूल संचालक बोले- शिक्षक को निलंबित किया
निजी स्कूल के संचालक शालिग्राम उपाध्याय का कहना है कि वह उस समय स्कूल में नहीं थे। जब स्कूल पहुंचे तो उन्हें पता चला कि शिक्षक ने एक छात्र के बाल काट दिए हैं। इसके बाद उन्होंने संबंधित शिक्षक को निलंबित कर दिया है।
वहीं शिक्षक गोकुल अहिरवाल का कहना है कि उसने किसी द्वेष भावना के तहत ऐसा नहीं किया है। छात्रों को अनुशासित रखने के लिए मैंने ऐसा किया है। मैं सभी छात्रों को अपने भाई-बहन की तरह मानता हूं और कोशिश करता हूं कि वह बेहतर से बेहतर कर सके।