
मध्यप्रदेश में कटनी जिले के बड़े कारोबारियों में शामिल हरनीत सिंह लांबा और सुरेंद्र सलूजा के फर्जी हस्ताक्षर करते हुए उन्हें न सिर्फ कंपनी के डायरेक्टर पद से हटाया था। बल्कि अरबों रुपये का हेर-फेर भी किया था।
मेसर्स यूरो प्रतीक इंडस्ट्री के दो डायरेक्टर्स के फर्जी हस्ताक्षर करने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है। आरोपियों ने कटनी जिले के बड़े कारोबारियों में शामिल हरनीत सिंह लांबा और सुरेंद्र सलूजा के फर्जी हस्ताक्षर करते हुए उन्हें न सिर्फ कंपनी के डायरेक्टर पद से हटाया। बल्कि अरबों रुपये का हेर-फेर किया था, जिसकी FIR कटनी कोतवाली और माधवनगर पुलिस ने दर्ज करते हुए संबंधित आरोपियों के विरुद्ध धारा-420 सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।
हरनीत सिंह लांबा ने बताया कि उनके द्वारा करोड़ों का इन्वेस्ट करते हुए सिहोरा के हरगढ़ स्थित मेसर्स यूरो प्रतीक इंड्रस्टी कंपनी में डायरेक्टर बने थे, जिसकी शुरुआत में सब ठीक चला। लेकिन फिर कंपनी के कुछ लोगों द्वारा बिना जानकारी दिए ही करोड़ों का लौह अयस्क बाहर बेचने लगे, जिसकी जानकारी लगते ही मेरा द्वारा इसका विरोध किया था तो उन्होंने मेरे और सुरेंद्र सलूजा के खिलाफ साजिश रचते हुए कूटरचित दस्तावेज बनवाते हुए हम दोनों को डायरेक्टरशिप से बाहर कर और कंपनी की करोड़ों की एफडी तोड़ डाली।
वहीं, सुरेंद्र सलूजा ने बताया कि हमारे साथ हुई धोखाधड़ी पर कटनी पुलिस को शिकायत देते हुए कंपनी के तीन डायरेक्टर और एक सेक्रेटरी हिमांशु श्रीवास्तव, सुनील अग्रवाल, सन्मति जैन और लाची मित्तल के विरुद्ध मामला दर्ज करवाया था। उसके बाद आरोपियों ने अग्रिम जमानत के लिए पहले लोवर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक प्रयास किए। लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गई है। आपको बता दें, इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड रायपुर का महेंद्र गोयनका बताया जा रहा है, जिसके इशारे पर कंपनी के चारो प्रमुख ने पूरा खेल खेला है। कटनी पुलिस महेंद्र गोयनका की भूमिका का पता लगा में जुटी है।