
सात सितंबर की सुबह इंदौर से चलकर जबलपुर आने वाली (22191) ओवरनाइट एक्सप्रेस के 2 कोच जबलपुर रेलवे स्टेशन के पास पटरी से उतर गए। इनमें एक पार्सल और एक AC कोच था। घटना में किसी तरह के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ था। एक बड़ा हादसा जरूर टल गया, पर 23 दिन बाद भी रेलवे के अधिकारी यह पता नहीं लगा पाए कि हादसा क्यों हुआ और किसकी लापरवाही से हुआ। घटना उस वक्त हुई, जब ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 6 पर पहुंच रही थी, और रफ्तार 20 किलोमीटर प्रति घंटे थी।
घटना के बाद जीएम शोभना बंदोपाध्याय सहित पश्चिम मध्य रेलवे और जबलपुर मंडल के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और जांच भी की पर लगता है कि यह ठंडे बस्ते में चली गई है। रेलवे से जुड़े सूत्र बताते हैं कि भले ही हादसा बड़ा ना रहा हो, पर बताता है कि लापरवाही गंभीर थी।
घटना के बाद जीएम ने उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए थे, और जल्द से जल्द रिपोर्ट मांगी थी, पर 23 दिन बाद भी हादसे की वजह नहीं पता चल पाई है। घटना के बाद से दोबारा अधिकारियों ने भी मौके पर जाने की जहमत नहीं उठाई है। बताया जाता है कि इसी ट्रैक और उसी पॉइंट में पहले भी कोच उतरने जैसे हादसे हो चुके हैं, इसके बाद भी रेलवे ने हादसों से सबक नहीं लिया। 7 सितंबर से पहले 12 जनवरी 2022 को पार्सल एक्सप्रेस के पहिए उतरे थे, इसके साथ ही इसी ट्रैक पर एक अन्य ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी है। जानकार बताते है कि बार-बार एक ही पॉइंट पर ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतरना बड़ी गड़बड़ी की और इशारा कर रहा है।
घटना के समय मौके पर मौजूद एक यात्री संदीप कुमार ने बताया था कि जैसे ही ट्रेन डिरेल हुई तो मानो ऐसा लगा कि भूकंप आ गया और एक झटके से ट्रेन रुक गई। हालांकि, जब गाड़ी रुकी और बाहर देखा तो पता चला कि इंजन से लगे दो कोच पटरी से उतर गए हैं। WCR की GM शोभना बंदोपाध्याय ने चार सदस्यीय अधिकारियों की जांच टीम गठित की और जांच रिपोर्ट तीन दिन में पेश करने के लिए कहा गया था, पर 23 दिन बाद भी रिपोर्ट का पता नहीं है। हालांकि डिरेल डिब्बों को रेल कोचिंग डिपो में पहुंचाने के बाद पायलट और लोको पायलट से भी पूछताछ की गई थी।