
दमोह में गोवंश वन विहार बनाने की योजना चल रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि जिले की सड़कों पर घूमते बेसहारा मवेशियों को आश्रय देने के उद्देश्य से ये काम किया जा रहा है।
दमोह जिले की सड़कों पर घूमते बेसहारा मवेशियों को आश्रय देने के उद्देश्य से दमोह में गोवंश वन विहार बनाने की योजना चल रही है। इसे प्रदेश का सबसे बड़ा गोवंश वन विहार बताया जा रहा है, क्योंकि यह 800 एकड़ में बनाया जाना प्रस्तावित है। इसके लिए विभाग ने शासकीय जमीन भी चिन्हित कर ली है। करीब 10,000 मवेशी यहां रह सकते हैं।
बता दें कि इससे पहले बीना में भी 425 एकड़ भूमि में गो अभयारण्य बनाने की घोषणा की जा चुकी है। दमोह में बनने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए फिलहाल प्रस्ताव तैयार किया गया है। जिसमें पथरिया विधानसभा के सीतानगर, कल्याणपुरा, रानगिर सहित चार गांवों से लगी करीब 800 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है। जमीन चिन्हित होने के बाद प्रस्ताव शासन को मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। पशु पालन मंत्रालय और मुख्यमंत्री से हरी झंडी मिलते ही गौवंश वन विहार को स्वरूप देने का काम शुरू होगा।
नवी, चरनोई सहित अन्य सुविधाएंडाक्टर पांडे ने बताया सीतानगर क्षेत्र की जिस भूमि को गोवन विहार के लिए चिन्हित किया गया है। वहां सुनार नदी है। उक्त जमीन का अधिकांश हिस्सा सुनार नदी के किनारे ही होगा। इसके अलावा चरनोई के लिए आसपास बहुत जमीन है। यहां तक पहुंचने के लिए मार्ग भी है। यहां गोवंश वन विहार बनने पर आसपास के ग्रामीणों को रोजगार भी उपलब्ध होगा।
ऐसी रहेगी प्रक्रिया
गोवंश वन विहार का प्रस्ताव मंत्रालय से पास होगा, इसके बाद ही आगे कार्रवाई बढ़ेगी। प्रस्ताव के बाद अब पशु पालन विभाग के अधिकारी मौका मुआयना करेंगे और सीएम को रिपोर्ट करेंगे। मंजूरी मिली तो शासन गोवंश वन विहार के लिए विभिन्न स्वीकृतियों के बाद राशि मंजूर करेगा। क्षेत्र से पशु पालन मंत्री होने के कारण इस प्रोजेक्ट पर काम जल्दी होने की उम्मीद है। पथरिया विधायक और पशु पालन राज्यमंत्री लखन पटेल ने बताया जिले भर में लगातार निराश्रित गोवंश के सड़कों पर होने के सवाल सामने आ रहे थे। इसी को लेकर यह प्रस्ताव तैयार किया गया है। जिसका एक ही उद्देश्य है कि सड़क से जिले के 8 हजार गौवंश को गोवंश वन्य विहार में आश्रय देना है। ऐसी उम्मीद भी है कि मुख्यमंत्री इसे जल्द ही मंजूरी देंगे।
10 हजार से अधिक गोवंश की रहेगी क्षमता
पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक डाक्टर संजय पांडेय ने बताया कि गोवंश वन विहार में 10 हजार से अधिक गोवंश को रखने की क्षमता रहेगी। पशु पालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में करीब 8 हजार गोवंश निराश्रित हैं। जो सड़कों पर दिखाई देते हैं। इसे ही ध्यान में रखते हुए गोवंश वन्य विहार की जमीन का चिन्हांकन किया गया है। दावा है कि इसके बनने के बाद जिले में एक भी निराश्रित गोवंश सड़क पर नजर नहीं आएगा।