
शहर के विवेकानंद नगर में इन दिनों 6 से अधिक मरीज डेंगू पॉजिटिव पाए गए हैं। इनका इलाज निजी अस्पतालों में चल रहा है। इसके बावजूद भी इस क्षेत्र में न तो फॉगिंग हो रही है और न ही दवा का छिड़काव किया जा रहा है।
दमोह जिले में लगातार डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। मलेरिया विभाग के अनुसार जिले में डेंगू पॉजिटिव मरीजों की संख्या 104 पर पहुंच गई है। इनमें सबसे ज्यादा 32 मरीज दमोह शहर में बताए जा रहे हैं। इनमें बजरिया वार्ड, सिविल वार्ड एवं शहर से सटे आसपास के क्षेत्रों में मरीजों की संख्या तेजी से फैल रही है। इसके बावजूद भी इन वार्डों में न तो फॉगिंग हो रही है और न ही दवा का छिड़काव किया जा रहा है। विभाग के रिकॉर्ड में तीन मशीनें हैं, लेकिन इनमें से कोई भी काम नहीं करती। वहीं शहर से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में मरीज बढ़ रहे हैं।
शहर के विवेकानंद नगर में इन दिनों 6 से अधिक मरीज डेंगू पॉजिटिव पाए गए हैं। इनका इलाज निजी अस्पतालों में चल रहा है। यहां पर दो बालिकाएं भी इस बीमारी से पीड़ित हैं। इसके बावजूद भी इस क्षेत्र में न तो फॉगिंग हो रही है और न ही दवा का छिड़काव किया जा रहा है। स्थानीय निवासी पप्पू परिहार ने बताया कि उनके घर के सामने खाली पड़ी जगह पर बारिश का पानी भरा रहता है।
साथ ही मच्छरों की तादाद भी बढ़ रही है, लेकिन आज तक वहां पर दवा का छिड़काव भी नहीं किया गया। जिससे हमारे वार्ड में 6 लोग डेंगू की बीमारी से पीड़ित हैं। जिनका इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है। मलेरिया के आंकड़ों के अनुसार जिले में डेंगू के 104 मरीज हैं, जबकि हकीकत यह है कि आंकड़ा इससे दोगुना तक पहुंच गया है। शहर के निजी अस्पतालों में डेंगू के करीब 50 से अधिक मरीजों का इलाज चल रहा है। इनमें से करीब 50 मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं, लेकिन मलेरिया विभाग इन मरीजों को डेंगू का मरीज नहीं मान रहा है। विभाग का तर्क है कि वे डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के तहत केवल एलाइजा पद्धति से ही पॉजिटिव आए रोगी को पुख्ता मानते हैं, जबकि अधिकांश अस्पतालों में कार्ड टेस्ट से ही जांच हो रही है। कार्ड टेस्ट में एनएस 1, आईजीजी व आईजीएम पॉजिटिव आते ही डेंगू का उपचार देते हैं, जबकि विभाग एनएस 1 को कंफर्म पॉजिटिव नहीं मानता।
फॉगिंग मशीन खराब
जिले में सबसे ज्यादा डेंगू के मरीज दमोह शहर में मिले हैं। जिनकी संख्या 32 है। वहीं हिंडोरिया में 31, पटेरा में 11, पथरिया में 9, जबेरा में 9, बटियागढ़ में 4, एवं तेंदूखेड़ा में 3 मरीज पाए गए हैं। मलेरिया विभाग के पास तीन फॉगिंग मशीनें हैं, लेकिन वर्तमान में तीनों फॉगिंग खराब पड़ी हैं। इधर नगर पालिका के पास भी तीन फॉगिंग हैं। इनमें से एक फॉगिंग खराब है। जबकि अधिकारियों द्वारा दो फॉगिंग मशीनें चालू होने की बात कही जा रही है। यही वजह है कि शहर के 39 वार्डों के अधिकांश हिस्सों में फॉगिंग नहीं की जा रही है। जिससे मच्छरों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। जबकि कलेक्टर द्वारा दो माह पहले ही मलेरिया विभाग व नगर पालिका को सभी फॉगिंग को दुरुस्त रखने के निर्देश दिए थे।
टीम लार्वा का सर्वे कर रही
जिला मलेरिया अधिकारी यामिनी सिलापुरिया का कहना है कि जिन वार्डों में मरीज मिल रहे हैं, वहां हमारी टीम लार्वा का सर्वे कर रही है। साथ ही लोगों को घर के अंदर एवं आसपास पानी का जमाव न करने के लिए समझाइश दी जा रही है। जहां खाली प्लॉट हैं, वहां पर गंबूसिया मछली का छिड़काव किया जा रहा है। दवा का छिड़काव नगर पालिका करती है। निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के संबंध में जानकारी नहीं है।
शिकायत आती है, वहां टीम को भेजा जाता है
नगर पालिका के स्वच्छता प्रभारी जितेंद्र पटेल का कहना है कि शहर में फॉगिंग की जा रही है। जहां पर खाली प्लॉट हैं, वहां पर भी दवा का छिड़काव किया जा रहा है। मुझे कोई लेटर नहीं मिला है, क्योंकि मेरी पदस्थापना को एक माह ही हुआ है। जहां भी शिकायत आती है, टीम को भेजा जाता है।