
इस बार बुखार आने पर यह वायरल है, चिकनगुनिया है, डेंगू या लेम फीवर (लंगड़ा बुखार) है? यह डॉक्टर भी बगैर टेस्ट के नहीं बता पा रहे हैं क्योंकि ज्यादातर बुखार के लक्षण एक जैसे हैं। एक ही लक्षण के मरीजों में अलग-अलग तरह के बुखार टेस्ट कराने पर निकल रहे हैं। इसलिए डॉक्टर मरीज के आने पर प्राथमिक दवाएं देकर टेस्ट करा रहे हैं ताकि जाे बुखार हाे उसके हिसाब से दवाएं दी जा सकें।
इस बार बुखार से निजात मिलने में 8 से 15 दिन तक का समय लग रहा है। पूरी तरह स्वस्थ हाेने में महीना भर लग जा रहा है। बीएमसी में ही रोज 50 मरीज डेंगू संदिग्ध आ रहे हैं। इनके अलग-अलग तरह के टेस्ट भी हाे रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक अभी कोविड काल की तरह हालात हैं। ज्यादातर अस्पताल भरे हुए हैं।
ज्यादातर घरों में काेई न काेई बीमार : मौसम में बदलाव हाे रहा है। इस संक्रमण काल में अधिकतर घरों में हर उम्र के लाेगाें काे स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हाे रही हैं। सितंबर-अक्टूबर में सालाना इस तरह हाेता रहा है
2 तरह की जांच से करते हैं डेंगू की पुष्टि
1. एलाइजा टेस्ट : यह टेस्ट खून के नमूने में डेंगू वायरस के बारे में जानकारी देता है। डेंगू वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी की पहचान करता है। 2. डेंगू एनएस1 टेस्ट : यह डेंगू वायरस के गैर-संरचनात्मक प्रोटीन 1 (एनएस1) की पहचान करता है। यह टेस्ट, डेंगू बुखार के पहले सात दिनों में किया जा सकता है।
डॉक्टर हैरान, टेस्ट से ही पुष्टि कर पा रहे, सभी बुखार में एक से लक्षण इस कारण डॉक्टर भी हैरान हैं। अधिकतर डॉक्टर बिना जोखिम के शुरुआत में ही टेस्ट कराकर इलाज कर रहे हैं। अधिकतर बच्चे व किशोर के साथ बुजुर्ग अस्वस्थ हैं। लक्षण के आधार पर इनकी डेंगू और चिकनगुनिया की जांच कराई जा रही है। कुछ मरीजों को बुखार के साथ घुटने में असहनीय दर्द की शिकायत हो रही है।
चिकित्सक इसे लेम फीवर (लंगड़ा बुखार) बता रहे हैं। इन लक्षणों वाले मरीजों में डेंगू भी निकल रहा है। बुखार होने पर चिकित्सक डेंगू, चिकनगुनिया, टायफाइड की जांच करा रहे हैं। तीनों रिपोर्ट निगेटिव आने पर लेम फीवर मानकर इलाज किया जा रहा है। मरीज दो-तीन दिन में ठीक हो जा रहे हैं। हालांकि स्वस्थ होने के बाद भी घुटने में हल्का दर्द रह रहा है।
मलेरिया विभाग में सिर्फ 64 मरीज, क्योंकि केवल एलाइजा टेस्ट मान्य
बीएमसी में रोज 50 संदिग्ध डेंगू मरीज आ रहे हैं। इसी तरह शहर के अन्य अस्पतालों में भी मरीज बड़ी संख्या में आ रहे हैं। अलग-अलग अस्पतालों में करीब 500 डेंगू मरीज हैं। इनके टेस्ट में पुष्टि भी हाे रही है। इनका इलाज डेंगू का ही चल रहा है लेकिन मलेरिया विभाग के रिकाॅर्ड में केवल 64 डेंगू मरीज अब तक जिले में आए हैं।
इसका बड़ा कारण सालाें पुरानी शासन की गाइडलाइन है। इसमें केवल मेक एलाइजा टेस्ट से डेंगू की पुष्टि हाेने पर उसे माना जाता है। अन्य टेस्ट मान्य नहीं हैं। लाेग एनएस 1 टेस्ट कराकर ही इलाज करा ले रहे हैं। एलाइजा टेस्ट नहीं करा रहे हैं।
बीएमसी में रोज बड़ी संख्या में आ रहे मरीज
बीएमसी में मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनीष जैन ने बताया कि हर रोज 50 डेंगू संदिग्ध मरीज आ रहे हैं। इसके 15-17 प्रकार के लक्षण हैं। डेंगू के लक्षण चिकगुनिया व वायरल में भी मिल रहे हैं। इस कारण टेस्ट के बाद बुखार का प्रकार तय हाे रहा है। शहर के ज्यादातर अस्पतालों में डेंगू के मरीज खूब आ रहे हैं। इसका कारण केवल मच्छर है। मच्छर से बचाव डेंगू से बचाव है।
बच्चों में रेसेस व सर्दी खांसी की शिकायत
बीएमसी बाल रोग विभाग में प्रोफेसर डॉ. आशीष जैन ने बताया कि अब स्थिति सुधरने लगी है। ठंड के कारण माैसम हेल्दी हाे रहा है। बच्चों में रेसेस, सर्दी खांसी के साथ बुखार अा रहा है। यह वायरल, डेंगू कुछ भी हाे सकता है। इस बार लक्षण के आधार पर पुष्टि करना मुश्किल है। टेस्ट से पुष्टि कर रहे हैं।