
प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री और वर्तमान दमोह विधायक जयंत कुमार मलैया मछली के जाल में फंस गए। दरअसल, दीपावली के बाद रैकवार समाज की वर्षों पुरानी परंपरा है, जिसमें नजर उतारने के लिए इस प्रकार का यह टोटका किया जाता है। रैकवार मांझी समाज के लोग मछली पकड़ने का जाल लेकर शहर के विभिन्न स्थानों पर पहुंचे। इस दौरान वे पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के घर भी पहुंचे और उन्हें मछली के जाल में फंसाया गया, जिससे उनकी नजर और कई प्रकार की बाधाओं को दूर किया गया।
बुंदेलखंड अंचल में सभी त्योहारों पर अलग-अलग परंपराएं देखने मिलती हैं। दमोह जिले में रैकवार माझी समाज के द्वारा दीपावली के बाद घर-घर जाकर परिवार के सभी सदस्यों की नजर उतारने के लिए मछली पकड़ने वाला जाल ओढ़ाया जाता है।
रैकवार माझी समाज के ग्रामीण जिला अध्यक्ष मोंटी रैकवार ने बताया कि वर्षों पुरानी यह परंपरा आज भी जारी है। बुजुर्गों ने हमें बताया है कि गांव-गांव में रैकवार माझी समाज के लोग मछली पकड़ने का जाल लेकर लोगों के घरों में जाते हैं। परिवार के लोगों को यह जाल ओढ़ाया जाता है और माना जाता है कि इसके बाद उस घर के परिवार के लोगों के जीवन की समस्याएं इस जाल में फंसकर बाहर आ जाती हैं। मछली के जाल को शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे डालने से घर में शुभता और समृद्धि आती है। मछली के जाल को नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए भी माना जाता है। इसे डालने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। मछली के जाल को स्वास्थ्य और सुख का प्रतीक भी माना जाता है। इसे डालने से घर में स्वास्थ्य और सुख आता है।
राकेश धुरिया ने बताया कि समाज मुख्य तौर पर मछली पालन के काम से जुड़ा होता है। जाल ही उनकी आय का जरिया होता है। जिस तरह से पानी से मछली निकाली जाती है, वैसे ही लोगों की समस्याओं को इस जाल से निकालने की मान्यता है। प्रार्थना की जाती है कि लोगों के जीवन में सुख रहे। जाल को बुंदेलखंड में सौखी भी कहा जाता है।