
जबलपुर के बड़ेरिया मेट्रो प्राइम अस्पताल में शनिवार को डॉक्टर्स ने 72 वर्षीय बुजुर्ग के चेहरे से ऑपरेशन कर तीन किलो का ट्यूमर निकाला है। ऑपरेशन करने वाले डाॅक्टर्स बताते है दुनिया में इस तरह के मुश्किल से 5 से 10 केस हुए होंगे, जहां इतने बड़े चेहरे के ट्यूमर का सफल ऑपरेशन किया गया है।
दरअसल, सतना जिले के पगार गांव में रहने वाले 72 वर्षीय बुजुर्ग अयोध्या बारी के चेहरे पर 2012 में एक छोटा सा घाव हो गया था। उस पर ध्यान न देने के कारण यह घाव धीरे-धीरे बढ़ता गया और 2022 तक एक बड़े ट्यूमर का रूप ले लिया। बुजुर्ग के मुंह में तीन किलो का जानलेवा ट्यूमर हो गया था।
मध्यप्रदेश में कई डॉक्टरों को ट्यूमर के इलाज के लिए दिखाया गया, लेकिन सभी ने कहा कि इतने बड़े ट्यूमर का ऑपरेशन करना बहुत जोखिम भरा है, और इससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
निराश होकर, बुजुर्ग के परिजन जबलपुर के बड़ेरिया मेट्रो प्राइम अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों की टीम ने बुजुर्ग सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर उनके मुंह से तीन किलो का ट्यूमर बाहर निकाला।
मुंह खुलना बंद हुआ-खाने पीने में हो रही थी तकलीफ
अयोध्या के चेहरे का ट्यूमर जैसे-जैसे बढ़ता गया, उनकी तकलीफ भी बढ़ती गई। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि बुजुर्ग का चेहरा ट्यूमर से ढक गया था। उन्हें खाने-पीने, उठने-बैठने और सोने में भी परेशानी होने लगी। परिजनों ने मध्यप्रदेश के कई अस्पतालों में संपर्क किया, लेकिन हर जगह डॉक्टरों ने इसे बहुत जोखिम भरा बताया। डॉक्टरों का कहना था कि ट्यूमर जिस जगह पर है, वहां से फेशियल नस गुजरती है, और जरा सी चूक से आंखों की रोशनी जा सकती है।
कैंसर सर्जन डॉक्टर जितेंद्र की टीम हुई तैयार
72 वर्षीय बुजुर्ग के चेहरे में तीन किलो के ट्यूमर का ऑपरेशन करने का निर्णय बड़ेरिया मेट्रो प्राइम अस्पताल के डॉक्टर जितेंद्र परियानी, डॉक्टर प्रशांत यादव और उनकी टीम ने लिया। 28 अक्टूबर को बुजुर्ग को ऑपरेशन के लिए भर्ती किया गया। धीरे-धीरे दवाइयों के जरिए ये कोशिश की गई कि तीन किलो के ट्यूमर का ऑपरेशन करने लायक किया जाए।
आखिरकार 9 नवंबर को ऑपरेशन हुआ। शनिवार दोपहर 2 बजे शुरू हुआ ऑपरेशन तीन घंटे चला, जिसके बाद ट्यूमर को सफलतापूर्वक हटा दिया गया।
चेहरा देखकर खुश हो गए अयोध्या
ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद जब 72 वर्षीय बुजुर्ग को होश आया और उन्होंने आइने में अपना चेहरा देखा तो उन्हें यकीन नहीं हुआ कि यह वही चेहरा है, जहां पहले तीन किलो का ट्यूमर था।
डॉक्टर जितेंद्र परियानी ने बताया कि दुनिया में इस तरह के मुश्किल से 5 से 10 केस हुए होंगे, जहां इतने बड़े चेहरे के ट्यूमर का सफल ऑपरेशन किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि ऑपरेशन में जरा सी चूक से आंखों की रोशनी और जान का खतरा था।
कुछ दिन और ऑपरेशन नही होता तो ट्यूमर फट जाता
डॉक्टर जितेंद्र परियानी ने बताया कि अगर कुछ दिन और ऑपरेशन नहीं किया जाता, तो हो सकता था कि यह फट जाए, जिससे दोनों आंखों की रोशनी चली जाती। इतना ही नहीं, खून बह जाने से मरीज की जान भी जा सकती थी।
डॉक्टर जितेंद्र के मुताबिक, गले की ग्रंथियों के कारण इस तरह के ट्यूमर हो जाते हैं। यदि समय पर इसका इलाज न करवाया जाए, तो यह इतना बड़ा आकार भी ले सकता है।
डॉ. परियानी बताते है बुजुर्ग मरीज को दाईं पारोटिड ग्रंथि का एक विशाल ट्यूमर था। यह चेहरे के निचले हिस्से से फैलना शुरू होता है और फिर ऊपर नाक के जरिए आंखों तक पहुंच जाता है, जिसके चलते फेशियल नर्व और उसकी सहयोगी पांच नसें इसके ऊपर आ जाती हैं।
ट्यूमर का आकार बढ़ने से इन ग्रंथियों पर दबाव पड़ने लगता है। ये सभी नसें मिलकर चेहरे के हाव-भाव समेत आंख, होंठ, माथा, कान और नाक की मांसपेशियों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
बुजुर्ग अयोध्या बारी का ऑपरेशन करने वाले प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर प्रशांत यादव ने बताया कि ऑपरेशन के बाद प्लास्टिक सर्जरी से चेहरे को ठीक करना भी मुश्किल काम था, क्योंकि बुजुर्ग के चेहरे की परत सिकुड़ चुकी थी।
बुजुर्ग के हाथों में दिया तीन किलो का ट्यूमर
ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों की टीम बुजुर्ग की देखभाल में जुटी रही। होश में आने के बाद अयोध्या ने अपना चेहरा देखने की इच्छा जाहिर की, और जैसे ही उन्होंने आइने में खुद को देखा, उन्हें विश्वास नहीं हुआ। डॉक्टर प्रशांत यादव ने बुजुर्ग के हाथों में तीन किलो का ट्यूमर रखते हुए कहा कि यह चेहरा से निकाला गया है। फिलहाल बुजुर्ग पूरी तरह स्वस्थ हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं।

- ऑपरेशन के पहले

- ऑपरेशन के बाद